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Wednesday, May 15, 2024

पीसीएस में वैकल्पिक विषय हटने की वजह से भी घटी PG की मांग, कभी संस्कृत, दर्शनशास्त्र थे पहली पसंद, अब ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं विद्यार्थी

पीसीएस में वैकल्पिक विषय हटने की वजह से भी घटी PG की मांग, कभी संस्कृत, दर्शनशास्त्र थे पहली पसंद, अब ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं विद्यार्थी


प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के संघटक महाविद्यालयों में पीजी में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों में से ज्यादातर का लक्ष्य पीसीएस परीक्षा होती थी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटा दिए हैं। ऐसे में पीजी के कई पाठ्यक्रमों की मांग घटने की एक प्रमुख वजह यह भी जानी जा रही है।


इसका असर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय और इनके संघटक कॉलेजों में भी देखने को मिल रहा है। पीजी में प्रवेश के लिए आवेदनों की संख्या लगातार घट रही है। विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों की हालत ज्यादा खराब है, जहां सीटों की संख्या मुकाबले आधे से भी कम विद्यार्थी प्रवेश ले रहे हैं। यही वजह है कि इविवि की एकेडमिक कौंसिल को कॉलेजों में संचालित तकरीबन 15 विषय बंद करने का निर्णय लेना पड़ा।


संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी, दर्शनशास्त्र जैसे विषयों में पीजी करने के लिए विद्यार्थी ही नहीं मिल रहे हैं। कभी पीसीएस के अभ्यर्थियों के बीच ये विषय सबसे ज्यादा लोकप्रिय थे और इन विषयों में अच्छे अंक भी मिलते थे। पीसीएस मेस में इन्हें वैकल्पिक विषय के रूप में चुनने वाले अभ्यर्थी टॉपर्स की लिस्ट में शामिल हुआ करते थे, लेकिन पीसीएस से वैकल्पिक विषय हटाए जाने के बाद इन विषयों से एमए करने वालों की संख्या का ग्राफ तेजी से गिरा है।


यूपीपीएससी ने पीसीएस मुख्य परीक्षा से पांच वैकल्पिक विषय हटाए थे, लेकिन पीसीएस- 2023 से वैकल्पिक विषय पूरी तरह से समाप्त कर दिए गए और उनकी जगह उत्तर प्रदेश विशेष सामान्य अध्ययन के दो नए प्रश्नपत्र शामिल कर लिए गए। ऐसे में आने वाले समय में पीजी के कई अन्य पाठ्यक्रमों में भी विद्यार्थियों को संख्या तेजी से कम हो सकती है। हालांकि, माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए पीजी की अनिवार्यता है। ऐसे में पीजी के छात्रों के लिए दूसरे रास्ते अभी खुले हुए हैं।

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