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Saturday, October 21, 2023

लोक सेवा आयोग को पुनः निरस्त करना होगा APS का आवेदन, जानिए क्यों?

लोक सेवा आयोग को पुनः निरस्त करना होगा APS का आवेदन

कोर्ट से राहत मिलने के बाद अभ्यर्थियों को अब कंप्यूटर परीक्षा का इंतजार

दस साल पुरानी भर्ती पूरी होने के इंतजार में कई अभ्यर्थी हो चुके हैं ओवरएज


प्रयागराज । अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2013 के अभ्यर्थियों को न्यायालय से राहत मिलने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को अब एपीएस भर्ती परीक्षा- 2023 का पुनः आवेदन निरस्त करना होगा। इस भर्ती के अभ्यर्थियों को भी अब कंप्यूटर परीक्षा के आयोजन का इंतजार है, जिसके बाद एपीएस का अंतिम चयन परिणाम जारी किया जाएगा।


एपीएस के 176 पदों पर भर्ती के लिए आयोग ने वर्ष 2013 में विज्ञापन जारी किया था। परीक्षा कई चरणों में होनी थी। पहले लिखित परीक्षा थी और इसके बाद टाइप शॉर्टहैंड एवं कंप्यूटर ज्ञान की परीक्षा गयोजित की जानी थी। आयोग ने और शॉर्टहैंड की परीक्षा का परिणाम भी घोषित कर दिया था और 1047 अभ्यर्थियों को कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा के लिए क्वालिफाई कराया गया था।


इसी बीच एपीएस भर्ती 2010 में गड़गड़ी सामने आने पर सीबीआई ने मुकदमा दर्ज कर लिया। आरोप थे कि एपीएस भर्ती 2010 में शॉड में पांच फीसदी तक की गलती अनुमन्य होने के बावजूद विशेषाधिकार की आड़ में तीन फीसदी अतिरिक्त गलती को भी अनुमन्य कर दिया गया और इसकी वजह से कई आयोग्य अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया।


सीसीआई ने एपीएस-2010 के मामले में मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन आयोग ने इसी आधार पर एपीएस-2013 की परीक्षा निरस्त कर दी थी। इस परीक्षा में भी शॉर्टहैंड में तीन फीसदी अतिरिक्त गलती को अनुमन्य किया गया था। आयोग ने परीक्षा निरस्त करने के बाद इस परीक्षा के पुराने अभ्यर्थियों को दोबारा आवेदन का मौका दिया था।


कई अभ्यर्थी परीक्षा निरस्त किए जाने के विरोध में कोर्ट चले गए। कोर्ट ने अभ्यर्थियों को राहत देते हुए आदेश दिया है कि चयन प्रक्रिया को जारी रखा जाए। यानी आयोग की ओर से दोबारा लिए गए आवेदनों के अब कोई मायने नहीं रह गए हैं। आयोग को वर्ष 2013 में जारी विज्ञापन के अनुसार ही चयन प्रक्रिया आगे बढ़ानी होगी और पुनः आवेदन की प्रक्रिया निरस्त करनी होगी।


दस साल से भर्ती पूरी होने का इंतजार कर रहे बड़ी संख्या में अभ्यर्थी ओवरएज भी हो चुके हैं। इन अभ्यर्थियों ने हाल ही में जारी एपीएस-2023 के विज्ञापन में आवेदन के लिए आयु सीमा में छूट भी मांगी थी, लेकिन आयोग ने कोई छूट नहीं दी।


ऐसे में ओवरएज अभ्यर्थियों के पास अब एपीएस भर्ती 2013 ही अंतिम विकल्प रहा गया है। कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा के लिए क्वालीफाई कर चुके अभ्यर्थियों को अब परीक्षा तिथि घोषित होने का इन्तजार है।




अपर निजी सचिवों का चयन रद्द करने का आदेश निरस्त, हाईकोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर चयन प्रक्रिया रद्द कर देने से चयनित अभ्यर्थियों को नुकसान होगा

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के तहत चयनित 1047 अभ्यर्थियों की चयन सूची और नियुक्ति विज्ञापन रद्द करने के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के 24 अगस्त 2021 के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है। कि वह तैयार की गई चयन सूची के आधार पर ही नियुक्तियों के लिए आवश्यक संस्तुति करें।


यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने जय करन व अन्य, राजू कुमार व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। मामले में याची चयनित अभ्यर्थी है। उनका तर्क था कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 13 दिसंबर 2013 को विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे। याचियों ने विज्ञापन के तहत आवेदन कर चयन प्रक्रिया में हिस्सा लिया और लिखित परीक्षा और टाइपिंग टेस्ट में सफल हो गए। इसके बाद आयोग ने 24 अगस्त 2021 को आदेश जारी कर उपरोक्त चयन रद्द कर दिया।


याचियों ने कहा कि चयन प्रक्रिया में सात से आठ का समय लगा। इसके बाद आयोग ने यह कहते हुए विज्ञापन रद्द कर दिया कि यह विज्ञापन उत्तर प्रदेश सचिवालय निजी सहायक सेवा नियमावली 2001 के अनुरूप नहीं है। विज्ञापन के अनुसार अभ्यर्थियों को टाइप टेस्ट में 25 शब्द प्रति मिनट टाइप करने थे। इसमें पांच प्रतिशत तक गलतियों की छूट थी। लेकिन, इस विज्ञापन में पांच प्रतिशत के अलावा तीन प्रतिशत और गलतियां माफ करने का प्रावधान था। इस प्रकार कुल आठ प्रतिशत तक गलतियों से छूट दी गई थी।



एपीएस का चयन रद्द किए जाने का आदेश निरस्त


प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव (एपीएस) पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के तहत चयनित 1047 अभ्यर्थियों की चयन सूची और नियुक्ति विज्ञापन रद्द करने के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के 24 अगस्त 2021 के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने आयोग को यह निर्देश भी दिया है कि तैयार की गई चयन सूची के आधार पर ही नियुक्तियों के लिए आवश्यक संस्तुति करे।


चयनित अभ्यर्थियों की ओर से लोक सेवा आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचियों का कहना था कि लोक सेवा आयोग ने 13 दिसंबर 2013 को विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे। याचियों ने इस विज्ञापन के तहत आवेदन किया और चयन प्रक्रिया में भाग लिया। वे लिखित परीक्षा और टाइपिंग टेस्ट में सफल हो गए। 


इसके बाद आयोग ने 24 अगस्त 2021 को आदेश जारी कर उपरोक्त चयन रद्द कर दिया। याचियों का कहना था कि चयन प्रक्रिया में सात से आठ साल का समय लगा। उसके बाद आयोग ने यह कहते हुए विज्ञापन रद्द कर दिया कि यह विज्ञापन उत्तर प्रदेश सचिवालय निजी सहायक सेवा नियमावली 2001 के अनुरूप नहीं है। विज्ञापन के अनुसार अभ्यर्थियों को टाइप टेस्ट में 25 शब्द प्रति मिनट टाइप करने थे।



एपीएस भर्ती पांच प्रतिशत तक त्रुटि की छूट दी गई थी

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव (एपीएस) पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के तहत पांच प्रतिशत तक त्रुटि की छूट थी लेकिन इस विज्ञापन में पांच प्रतिशत के अलावा तीन प्रतिशत और गलतियां माफ करने का प्रावधान था। इस प्रकार कुल आठ प्रतिशत तक गलतियों से छूट दी गई थी। 


इस पर राज्य सरकार ने 10 जून 2019 को एक आदेश जारी कर आयोग को नियमावली के अनुसार चयन प्रक्रिया करने का निर्देश दिया था। लोक सेवा आयोग का कहना था की सेवा नियमावली में टाइप टेस्ट में किसी भी प्रकार की गलती से छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है इसलिए चयन को रद्द किया गया है। 


जबकि याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि ऐसा कोई टाइप टेस्ट नहीं हो सकता, जिसमें अभ्यर्थी कोई गलती न करें। सभी प्रकार के टाइप टेस्ट में कुछ हद तक गलतियों से छूट रहती है और लोक सेवा आयोग के पास इसकी गणना करने का अपना फार्मूला है। टाइप टेस्ट की परीक्षा आयोग अपने तयशुदा सुधार फार्मूले के तहत कराता है।


कोर्ट का कहना था कि इस स्तर पर चयन प्रक्रिया रद्द करने से चयनित अभ्यर्थियों को नुकसान होगा और उन्हें नए सिरे से नए अभ्यर्थियों के साथ प्रतियोगिता में शामिल होना पड़ेगा।


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