इलाहाबाद : भ्रष्टाचार के आरोपों से परीक्षा आयोग दागदार हो रहे हैं, वहीं अच्छी नौकरी की आस लगाए प्रतियोगियों का भविष्य भी दांव पर लगा है। उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच शुरू होने के बाद कर्मचारी चयन आयोग से हुई भर्तियों में ‘खेल’ उजागर करने को सीबीआइ जांच की मांग होने लगी है। एसएससी से जितने व्यापक स्तर पर केंद्र सरकार के विभागों में भर्तियां हुईं उतने ही बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। प्रतियोगियों ने सड़क पर आंदोलन छेड़ दिया है। एसएससी यानी कर्मचारी चयन आयोग की बड़ी परीक्षाएं सीजीएल, सीएचएसएल और सीपीओ एसआइ की होती है। इनमें प्रतियोगियों का अनुमान है कि 2013 से अब तक करीब एक लाख पदों पर भर्तियां की गई हैं। एमटीएस समेत अन्य छोटी परीक्षाओं से भर्तियां भी काफी अधिक संख्या में हुई हैं। प्रतियोगियों की ओर से भ्रष्टाचार के आरोप इन सभी भर्तियों में लगाए गए हैं। इनमें ऑनलाइन परीक्षा के नाम पर निजी कंप्यूटर संस्थानों से साठगांठ कर धांधली के आरोप हैं। इतना ही नहीं, प्रतियोगियों ने सोमवार से शुरू किए गए आंदोलन में इस बात को भी प्रमुखता से उजागर किया था कि किस पद पर भर्ती के लिए कितनी घूस ली जा रही है। सभी परीक्षाओं की सीबीआइ जांच कराने की मांग एक स्वर में रखकर प्रतियोगियों ने कर्मचारी चयन आयोग को ठीक उसी तरह से कठघरे में खड़ा किया है जैसे उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने सीबीआइ जांच की मांग उठाई थी। यूपी पीएससी से भी पांच साल में हुई करीब 40 हजार भर्तियों की सीबीआइ जांच शुरू हुई है और अब भ्रष्टाचार को लेकर ही कर्मचारी चयन आयोग भी प्रतियोगियों के निशाने पर है।
Tuesday, March 6, 2018
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