Searching...
Saturday, March 31, 2018

पीसीएस में रद प्रश्नों की सूचना नहीं दे रहा यूपी लोक सेवा आयोग, पेपरों में गलतियों की भरमार, जिम्मेदारी लेने को कोई नहीं तैयार

अब प्रश्नपत्रों की प्रूफ रीडिंग कराने पर आयोग के जवाब का इंतजार प्रतियोगी से 2012 से 2016 की परीक्षा में हटे प्रश्नों का मांगा था ब्योरा


इलाहाबाद : की परीक्षाओं में प्रश्नों के गलत जवाब के बहुतेरे मामले सामने आ रहे हैं। उनमें से कई प्रश्नों को आयोग खुद संज्ञान लेकर रद भी कर रहा है लेकिन, इसकी सूचना वह सार्वजनिक करने को तैयार नहीं है। जनसूचना अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई सूचना को देने में आयोग ने असमर्थता जाहिर की है।

आयोग ने पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा की उत्तरकुंजी जारी करने के साथ ही करीब पांच प्रश्नों को रद कर दिया था। सामान्य अध्ययन विषय में 150 सवालों की जगह 145 प्रश्नों को ही आधार बनाकर मुख्य परीक्षा के लिए सफल अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई। उसी समय प्रतियोगी अविनाश कुमार सिंह ने 29 जनवरी को आयोग के जनसूचना अधिकारी को आरटीआइ भेजी। इसमें पूछा गया कि आयोग की पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र में वर्ष 2012 से 2016 तक कितने प्रश्नों को रद किया गया है। इसका वर्षवार ब्योरा दिया जाए। जनसूचना अधिकारी अनुसचिव सतीश चंद्र मिश्र ने 24 फरवरी को भेजे जवाब में कहा है कि परीक्षा के रद प्रश्नों का वर्षवार ब्योरा आयोग में संरक्षित नहीं किया जाता है। इसलिए यह सूचना अदेय है। प्रतियोगी का कहना है कि इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा के रद प्रश्नों का ब्योरा न रखना गंभीर मामला है।


आयोग के जवाब न देने पर भी प्रतियोगी ने हार नहीं मानी है, उसने दूसरी आरटीआइ भेजी है इसमें पूछा है कि आयोग में पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्रों की प्रूफ रीडिंग कराई जाती है या नहीं? यह पूछा है कि यदि प्रूफ रीडिंग होती है तो उसके बाद प्रश्नपत्र विषय विशेषज्ञ के पास जाता है या नहीं? पांच फरवरी को मांगी गई इस सूचना का आयोग ने अब तक जवाब नहीं दिया है।







इलाहाबाद : की भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने की नौबत यूं ही नहीं है, बल्कि एक के बाद एक परीक्षाओं में गड़बड़ियों की फेहरिश्त लंबी होने पर योगी सरकार ने कदम उठाया। जांच शुरू होने के बाद भी आयोग अहम परीक्षाओं को लेकर गंभीर नहीं हुआ, इसीलिए 2017 पीसीएस प्री के प्रश्नों के गलत जवाब मामला सामने आया है। लेकिन उससे न तो सबक लिया जा रहा है और न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो रही है। हालात यह है कि कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार ही नहीं है।


आयोग की हर छोटी व बड़ी परीक्षा कराने का खाका परीक्षा समिति खींचती है, प्रश्नपत्र तैयार करने वाले विशेषज्ञ कौन होंगे, इम्तिहान कितने जिलों में कराया जाएगा, परीक्षा केंद्रों पर तैयारियां कैसी होंगी। इसमें अध्यक्ष व सभी सदस्य हैं और हर निर्णय सामूहिक होता है। हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करके विशेषज्ञों को बदलने का सुझाव दिया, लेकिन उस पर पूरी तरह से अमल नहीं किया गया।


प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अवनीश पांडेय का कहना है कि समिति सदस्यों को नैतिक जिम्मेदारी लेकर पद से इस्तीफा देना चाहिए। यदि वह स्वेच्छा से पद नहीं छोड़ते हैं तो शासन को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए, अन्यथा इसी तरह से प्रतियोगी परेशान होते रहेंगे। इसके पहले 2015 पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक होने पर लखनऊ में मुकदमा तक दर्ज हुआ, लेकिन आयोग ने उसे नहीं माना। सुहासिनी बाजपेई के मामले में भी आयोग ने बड़ों पर कार्रवाई न करके अनुभाग स्तर के अफसरों को इधर से उधर करके प्रकरण का पटाक्षेप कर दिया।

0 comments:

Post a Comment