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Thursday, October 16, 2025

विधान परिषद भर्ती की सीबीआई जांच का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने किया निरस्त, हाईकोर्ट ने दो याचिकाओं पर सुनाया था फैसला

विधान परिषद भर्ती की सीबीआई जांच का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने किया निरस्त, हाईकोर्ट ने दो याचिकाओं पर सुनाया था फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह असाधारण उपाय और केवल दुर्लभ परिस्थितियों में ही उचित


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद सचिवालयों की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा, सीबीआई जांच असाधारण उपाय है, जो केवल दुर्लभपरिस्थितियों में ही उचित है।

जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा, भर्ती विवाद आमतौर पर यह सीमा तभी पार करते हैं, जब वे कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोर दें। ऐसे विवेकाधिकार का इस्तेमाल न्यायालय उसी स्थिति में कर सकते हैं, जहां घटना के राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय प्रभाव हो सकते हों और ऐसे फैसले के पीछे इरादा पूर्ण न्याय या मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का हो। शीर्ष कोर्ट ने कहा, सिर्फ व्यापक टिप्पणियां सीबीआई जांच के निर्देश के लिए पर्याप्त नहीं हैं। प्रथमदृष्ट्या आपराधिक मामले का खुलासा होने पर ही ऐसा करना उचित है।


कोर्ट ने कहा, सीबीआई जांच अंतिम उपाय के तौर पर दें जांच का आदेश
 पीठ ने कहा, संबंधित न्यायालय को सुनिश्चित करना होगा कि प्रस्तुत सामग्री प्रथमदृष्ट्या अपराध होने का खुलासा करती है और निष्पक्ष जांच के मौलिक अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई जांच को आवश्यक बनाती है, अथवा जहां ऐसे आरोपों की जटिलता, पैमाने या राष्ट्रीय प्रभाव केंद्रीय एजेंसी की विशेषज्ञता की मांग करते हैं। ऐसा आदेश अंतिम उपाय के तौर पर दिया जाना चाहिए, जब सांविधानिक अदालत को विश्वास हो कि प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा से समझौता किया है या उसके पास यह मानने के कारण हों कि इसमें इस हद तक समझौता हो सकता है कि न्याय प्रणाली में जनता का विश्वास डगमगा जाए।

अविश्वास रखता है।  के निर्देश की अंतर्निहित शक्तियों का सावधानीपूर्वक और असाधारण हालात में ही किया जाना चाहिए। इस कोर्ट ने लगातार चेतावनी दी है कि सीबीआई जांच नियमित रूप से या सिर्फ इसलिए निर्देशित नहीं की जानी चाहिए कि कोई पक्ष कुछ आक्षेप लगाता है या राज्य पुलिस में व्यक्तिपरक प्रयोग संयमित, मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ की दो रिट याचिकाओं से शुरू हुआ था। पहली याचिका में 2020 में विधान परिषद में भर्ती की निष्पक्षता को चुनौती दी गई। दूसरी याचिका में विधानसभा में सहायक समीक्षा अधिकारियों की भर्ती पर सवाल उठाए थे।

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