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Wednesday, June 11, 2025

'आपराधिक केस होने मात्र से नियुक्ति के लिए अयोग्य करार देना सही नहीं' – हाईकोर्ट

'आपराधिक केस होने मात्र से नियुक्ति के लिए अयोग्य करार देना सही नहीं' – हाईकोर्ट 

कांस्टेबल भर्ती 2015 में अयोग्य ठहराने का आदेश किया रद


प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि केवल एफआइआर या चार्जशीट दाखिल होने मात्र से किसी को अपराध के लिए दोषी नहीं माना जा सकता है। हालांकि सरकारी पद पर नियुक्ति के मापदंड अधिकारी ही तय करेंगे, कोर्ट नहीं। दोनों पक्षों में समझौते के कारण चार्जशीट निरस्त कर दी गई है। कोर्ट ने कहा, जब भर्ती निकाली गई थी तब याची के खिलाफ आपराधिक केस नहीं था। चयनित होने के बाद दो परिवारों के झगड़े में एफआइआर हुई। जिलाधिकारी वाराणसी ने विवेक का इस्तेमाल न कर पुलिस रिपोर्ट पर कार्रवाई की। उस भर्ती का पद 'खाली नहीं' के आधार पर राहत से इन्कार नहीं कर सकते। इसलिए पुनर्विचार किया जाए।


कोर्ट ने याची को नियुक्ति के लिए अयोग्य करार देने संबंधी डिप्टी पुलिस कमिश्नर वाराणसी के 20 जुलाई, 2024 के आदेश को रद कर पुलिस कमिश्नर व डिप्टी पुलिस कमिश्नर व अपर सचिव पुलिस भर्ती बोर्ड को याची की नियुक्ति करने पर आठ सप्ताह में विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उस भर्ती में पद रिक्त न होना इसमें बाधक नहीं होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने विवेक यादव की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है। अधिवक्ता विनय कुमार सिंह ने याची के लिए बहस की।


मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि याची पुलिस-पीएसी भर्ती 2015 में चयनित हुआ। नियुक्ति से पहले उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज हो चुकी थी। उसने तथ्य छिपाया नहीं। वाराणसी के चोलापुर थाने में सात मई 2016 को घटना की एफआइआर दर्ज हुई और पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। हाई कोर्ट ने याचिका पर दोनों पक्षों को समझौते की अनुमति देते हुए मजिस्ट्रेट को सत्यापित करने का आदेश दिया। समझौते के आधार पर चार्जशीट रद भी कर दी गई। इससे पहले ही याची को अयोग्य करार देते हुए नियुक्ति से इन्कार कर दिया गया था। इसे चुनौती दी गई थी।


कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरी मिलने पर विद्वेष के कारण झूठे केस में फंसाया भी जा सकता है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता। आरोप भी गंभीर नहीं है। कोर्ट आंख बंद नहीं रख सकती। जिलाधिकारी पोस्ट आफिस की तरह एसपी की रिपोर्ट पर आदेश नहीं दे सकता। उसे विवेक का इस्तेमाल कर आदेश पारित करना चाहिए। देखना चाहिए था कि एफआइआर सही है अथवा सरकारी नौकरी से बाहर करने की कवायद भर है। दोनों पक्षों की तरफ से एफआइआर दर्ज कराई गई थी।

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