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Saturday, August 10, 2024

ITI की डेढ़ लाख सीटें रहेंगी खाली, 5.50 लाख सीटों के सापेक्ष आए सिर्फ चार लाख आवेदन, अपग्रेड करने की तमाम कवायदों के बाद भी रुझान नहीं बढ़ पा रहा

ITI की डेढ़ लाख सीटें रहेंगी खाली, 5.50 लाख सीटों के सापेक्ष आए सिर्फ चार लाख आवेदन

अपग्रेड करने की तमाम कवायदों के बाद भी रुझान नहीं बढ़ पा रहा 

306 राजकीय व 2905 निजी आईटीआई में प्रवेश शुरू


लखनऊ। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को अपग्रेड करने की तमाम कवायदों के बाद भी युवाओं का इस तरफ रुझान नहीं बढ़ पा रहा है। हालत यह है कि लगभग एक महीने तक चले रजिस्ट्रेशन के बाद साढ़े पांच लाख सीटों के सापेक्ष चार लाख ही आवेदन आए हैं। ऐसे में प्रदेश भर में आईटीआई की लगभग डेढ़ लाख सीटें खाली रहेंगी।


युवाओं का कौशल प्रशिक्षण कर उन्हें रोजगार के लायक बनाने के लिए राजकीय व निजी आईटीआई में विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए 10वीं पास विद्यार्थियों के लिए एक व दो साल के कोर्स चलते हैं। प्रदेश की 306 राजकीय व 2905 निजी आईटीआई संस्थानों की साढ़े पांच लाख सीटों में प्रवेश के लिए 10 जुलाई से चार अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। इसके तहत लगभग चार लाख ही आवेदन आए हैं। 


इसमें भी ढाई लाख आवेदन सरकारी आईटीआई की 1.40 लाख सीटों के लिए हुए हैं। निजी आईटीआई के लिए आवेदन की स्थिति काफी खराब है। यहां की लगभग चार लाख सीटों के सापेक्ष लगभग 84 हजार ही आवेदन आए हैं। ऐसे में निजी आईटीआई में सीटें भरना बड़ी चुनौती होगी।


राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एससीवीटी) की ओर से प्रदेश की 150 आईटीआई को टाटा के साथ मिलकर अपग्रेड किया जा रहा है। वहीं अन्य 60 को भी अपग्रेड करने का प्रस्ताव है। पर, प्रदेश की 2905 आईटीआई की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यही वजह है कि यहां प्रवेश लेने में युवा रुचि नहीं दिखाते हैं। जबकि कई जिलों में तो चालीस-पचास तक निजी आईटीआई संस्थान खुले हुए हैं। अगर इनकी तरफ भी ध्यान दिया जाए तो स्थिति में कुछ बदलाव आ सकता है।


कम प्रवेश के यह हैं कारण 
आईटीआई में प्रवेश में रुचि न लेने के कुछ और भी कारण हैं। पहला, इस बार प्रवेश प्रक्रिया अपेक्षाकृत थोड़ी देर से शुरू हुई है। जबकि पॉलीटेक्निक संस्थानों में प्रवेश के लिए तीसरे चरण की काउंसिलिंग चल रही है। प्रवेश को लेकर प्रचार-प्रसार भी ठीक से नहीं किया गया। निजी आईटीआई में लगभग 20 हजार सालाना शुल्क है तो राजकीय में मात्र 500 रुपये। वहीं राजकीय की अपेक्षा निजी संस्थानों में अपेक्षाकृत सुविधाओं की भी कमी है।


आईटीआई में पढ़ाई व प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए काफी काम हो रहा है। अच्छी पढ़ाई कराने वाले निजी आईटीआई में भी काफी सीटें भर जाती हैं। यहां ज्यादा शुल्क होने से भी छात्र इनकी तरफ कम जाते हैं। निजी आईटीआई में सीटें यदि खाली रहती हैं तो इनको भरने के लिए अतिरिक्त प्रयास किया जाएगा।
- एम देवराज, प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा


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