योगी सरकार ने आंकड़े जारी कर किया दावा, ओबीसी को मिलीं 38% नौकरियां, 69000 शिक्षक भर्ती में 31 हजार से अधिक ओबीसी को सफलता
लखनऊ । प्रदेश की योगी सरकार ने आंकड़े जारी कर यह दावा किया है कि पिछले साढ़े सात वर्षों में यूपी में सबसे ज्यादा नौकरियां आरक्षित वर्ग को दी गई हैं। इसमें भी ओबीसी वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा चयन आयोग के माध्यम से 46675 भर्तियां हुईं। इसमें ओबीसी के कुल 17929 अभ्यर्थी चयनित हुए, जिनका प्रतिशत 38.41 है। जो कि अब तक का सबसे ज्यादा है।
69000 सहायक शिक्षक भर्ती में ओबीसी-एससी का चयन ज्यादाः आंकड़ों के अनुसार 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में अन्य पिछड़ा वर्ग के 18 हजार से अधिक पदों पर भर्ती होनी थी। जिसके सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग के 31 हजार से अधिक अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इसमें 18,598 ओबीसी कोटे में और 12,630 ओबीसी अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए।
ऐसी ही स्थिति अनुसूचित जाति संवर्ग में भी देखने को मिली है। सरकार ने दावा किया है कि सहायक अध्यापक के लिए हुई इस चयन में अनुसूचित जाति के लिए 14 हजार से अधिक पद आरक्षित थे। इन सभी पदों पर तो एससी वर्ग के युवाओं का चयन हुआ ही, नियमों के अनुरूप मेरिट के आधार पर 16 सौ से अधिक अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में भी चयनित हुए।
एससी के 17 हजार अधिक अभ्यर्थियों का हुआ चयन
राज्य सरकार ने आंकड़ों के जरिये बताया है कि अनुसूचित जाति संवर्ग के कुल 17 हजार से अधिक अभ्यर्थियों का चयन परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद के लिए हुआ। संबंधित चयन परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी के 34 हजार से अधिक पदों में 20,301 सामान्य श्रेणी, 12,630 अन्य पिछड़ा वर्ग, 1,637 अनुसूचित जाति, 21 अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में चयन हुआ।
सरकारी प्रवक्ता का दावा है कि पूर्ववर्ती सरकार में भर्ती प्रक्रिया में न सिर्फ ओबीसी वर्ग बल्कि एससी और एसटी वर्ग के हकों को मारा गया। 2015-2016 में 86 में से 56 एसडीएम एक ही जाति विशेष के चयनित हुए थे। 2012-17 में आयोग के 26394 पदों पर नियुक्ति में 13469 पदों पर सामान्य, 6966 पदों पर ओबीसी, 5634 पदों पर एससी और 327 पद पर एसटी के युवाओं का चयन हुआ था। इसमें ओबीसी का प्रतिशत केवल 26.38 प्रतिशत था।
पूर्व सरकार में आयोग की भर्ती पर खड़े हुए थे सवाल
सरकार के अनुसार पूर्ववर्ती शासन में भर्ती प्रक्रिया में न सिर्फ ओबीसी वर्ग के हक को मारा गया, बल्कि एससी और एसटी वर्ग के हक पर भी डाका पड़ा है। 2015-2016 में लोक सेवा आयोग की भर्ती में 86 में से 56 एसडीएम एक ही जाति विशेष के चयनित हुए थे। पूर्व सरकार के कार्यकाल (2012 से 2017) में लोक सेवा आयोग के माध्यम से 26394 पदों पर नियुक्ति हुई थी। इसमें 13469 पदों पर सामान्य, 6966 पदों पर ओबीसी, 5634 पदों पर एससी और 327 पद पर एसटी के युवाओं का चयन हुआ था। इसमें ओबीसी सिर्फ 26.38 फीसदी थे। वहीं, भाजपा सरकार में लोक सेवा चयन आयोग से 46675 भर्तियां हुई। इसमें ओबीसी के कुल 17929 अभ्यर्थी चयनित हुए, जिनका प्रतिशत 38.41 है। इसमें एससी और एसटी के प्रतिशत को अगर जोड़ दिया जाए तो आरक्षित श्रेणी के 60 प्रतिशत से ज्यादा अभ्यर्थियों का चयन लोक सेवा चयन आयोग से हुआ है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से हुई 42 हजार से अधिक भर्ती
उप्र. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से अप्रैल 2017 से जुलाई 2024 तक कुल 42409 युवाओं का चयन हुआ है। इसमें 9992 सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी हैं। इसी अवधि में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग श्रेणी के कुल 2761 अभ्यर्थी, अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के कुल 19986, एससी के 8929 और एसटी के कुल 741 अभ्यर्थी चयनित हुए है।
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