■ विषय विशेषज्ञ के लिए विश्वविद्यालय का चक्कर नहीं लगाना होगा
■ कुलपति के अनुमोदन के बाद ही कार्यभार संभाल सकेंगे शिक्षक
लखनऊ। प्रदेश के स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया जल्द ही आसान हो जाएगी। अभ्यर्थियों के साक्षात्कार के लिए विश्वविद्यालय से हर बार विशेषज्ञ पैनल नामित कराने की मौजूदा प्रक्रिया में बदलाव की तैयारी चल रही है। इसके तहत कॉलेज पहले से निर्धारित विषय विशेषज्ञ पैनल में से किसी को भी सीधे आमंत्रित कर सकेंगे। चयन के बाद उन्हें कुलपति से अनुमोदन कराना होगा।
अभी मौजूदा व्यवस्था में महाविद्यालय के अनुरोध पर चयन के लिए उस विश्वविद्यालय द्वारा विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाती है, जिससे वह महाविद्यालय संबद्ध है। साथ ही चयन समिति की बैठक मुख्यालय पर कराना बाध्यकारी होता है। इससे इन महाविद्यालयों में शिक्षकों की चयन प्रक्रिया जटिल व खर्चीली हो जाती है।
इन महाविद्यालयों द्वारा लंबे समय से यह मांग की जा रही है कि शिक्षकों के चयन का अधिकार प्रबंध तंत्र को दे दिया जाए। प्रबंध तंत्र द्वारा यूजीसी के मानकों के अनुसार शिक्षकों का चयन कर विश्वविद्यालय के कुलपति से अनुमोदन प्राप्त करे और अनुमोदन के बाद ही शिक्षक को कार्यभार ग्रहण कराया जाए।
महाविद्यालयों की इस मांग पर अब शासन गंभीर हो गया है। यह मांग पूरी करने के लिए अब हर राज्य विश्वविद्यालय के स्तर पर उस विश्वविद्यालय के अलावा उसके अधिकार क्षेत्र के राजकीय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के अर्ह शिक्षकों को शामिल करते हुए विषय विशेषज्ञों के पैनल का एक 'पूल' तैयार कराया जाएगा।
यह पैनल विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा और इसे समय-समय पर अपडेट किया जाएगा। संबद्ध महाविद्यालयों का प्रबंध तंत्र इसी 'पूल' से विषय विशेषज्ञ को बुलाकर चयन प्रक्रिया संपादित कर सकेगा। चयन के बाद पहले की तरह ही विश्वविद्यालय के कुलपति से अनुमोदन कराना अनिवार्य होगा। अनुमोदन के बाद ही वे चयनित शिक्षक को कार्यभार ग्रहण करा सकेंगे। सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग में इस मुद्दे पर सहमति बन गई है। जल्द ही इस संबंध में शासनादेश जारी होने की संभावना है।
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