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Thursday, August 1, 2024

CUET से दाखिले के बाद बची सीटें भर सकेंगे कॉलेज और विश्वविद्यालय, स्नातक और परास्नातक कोर्सों में प्रवेश को लेकर UGC ने जारी की नई SOP

विश्वविद्यालय एक भी सीट खाली न छोड़ें, यह संसाधनों की बर्बादी

CUET से दाखिले के बाद बची सीटें भर सकेंगे कॉलेज और विश्वविद्यालय, स्नातक और परास्नातक कोर्सों में प्रवेश को लेकर UGC ने जारी की नई SOP

कहा, सीयूइटी से सीटें न भरें तो उन्हें भरने के लिए विश्वविद्यालय करा सकते हैं नई परीक्षा


नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा है कि सीयूईटी से प्रवेश के बाद स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सीटें खाली रह जाती हैं तो केंद्रीय विश्वविद्यालय अपनी खुद की प्रवेश परीक्षा करा सकते हैं या फिर योग्यता परीक्षा के अंकों के आधार पर छात्रों को प्रवेश दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सीयूईटी प्राथमिक मापदंड है लेकिन रिक्त सीटों पर अपनी मेरिट से दाखिला देने पर उच्च शिक्षा में पढ़ाई के इच्छुक छात्र गुणवत्ता युक्त शिक्षा हासिल कर पाएंगे। प्रोफेसर कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि यूजीसी की 20 सितंबर 2023 को हुई 572वीं बैठक में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली सीटों पर चर्चा हुई थी। इसी में खाली सीटों को भरने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की गई थी। इसकी जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि यह देखने में आया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तीसरी से चौथी काउंसलिंग के बाद कई सीट खाली रह जाती हैं। कुछ छात्र दाखिले के बाद सीट छोड़ देते हैं। इससे दाखिले के आखिरी चरण में खाली सीटों की जानकारी मिलती है।


 पूरे शैक्षणिक वर्ष में सीटें खाली रखना न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि इससे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक कई होनहार छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा से वंचित होना पड़ता है। इसके अलावा विभिन्न कारणों से कई छात्र सीयूईटी की परीक्षा देने से चूक जाते हैं। इसलिए केंद्रीय विश्वविद्यालय बची हुई खाली सीटों को इस एसओपी के आधार पर भर सकते हैं।

दाखिले के लिए सीयूईटी प्राथमिक मापदंड लेकिन पूरे शैक्षणिक सत्र में सीटें खाली रखना संसाधनों की बर्बादी है।
- जगदीश कुमार, यूजीसी चेयरमैन


इन मानकों का पालन कर भर सकते हैं रिक्त सीटें

• केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए सीयूईटी प्राथमिक मापदंड है। ऐसे छात्र जो सीयूईटी में उपस्थित हुए थे लेकिन उन्होंने उस विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए पहले आवेदन नहीं किया था।

• सीयूईटी में उपस्थित होने वाले छात्रों को उस डोमेन विषय के पेपरों के बावजूद विचार किया जा सकता है, जिसमें उन्होंने भाग लिया था। साथ ही विश्वविद्यालय किसी विशेष पाठ्यक्रम या कार्यक्रम में प्रवेश के लिए डोमेन विषय-विशिष्ट मानदंडों में ढील दे सकते हैं।

• विश्वविद्यालय योग्यता परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर भी छात्रों को प्रवेश दे सकता है। पूरी प्रवेश प्रक्रिया योग्यता और पारदर्शिता पर आधारित होनी चाहिए। आरक्षण रोस्टर सभी मामलों में पाठ्यक्रमों/कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए लागू होगा।

• इसके अलावा, विश्वविद्यालय अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षा कराने पर विचार कर सकते हैं या विश्वविद्यालय का संबंधित विभाग रिक्त सीटों को भरने के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा करा सकता है।

• इसके अलावा यदि वे दाखिला प्रवेश परीक्षा नहीं कराना चाहते हैं तो उन्हें पारदर्शी मानक बनाना होगा ताकि उसकी मेरिट से खाली सीट पर दाखिला दिया जा सके।



विश्वविद्यालय एक भी सीट खाली न छोड़ें, यह संसाधनों की बर्बादी, स्नातक और परास्नातक कोर्सों में प्रवेश को लेकर UGC ने जारी की नई SOP

नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित विश्वविद्यालयों में सीयूइटी (कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट) के जरिये प्रवेश देने वाले उच्च - शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे प्रवेश के दौरान स्नातक और परास्नातक कोर्सों से जुड़ी एक भी सीट खाली न छोड़ें। यह संसाधनों की बर्बादी है। साथ ही उन छात्रों को उच्च शिक्षा से वंचित करना भी है, जो उन संस्थानों के साथ जुड़कर पढ़ना चाहते हैं।

यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने गुरुवार को केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित दूसरे सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश को लेकर एक नई स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया है। जिसमें साफ तौर पर यह कहा गया है कि सीयूइटी के जरिये प्रवेश - के लिए वैसे तो तीन से चार चरणों में काउंसलिंग आयोजित की जाती है। जिससे सभी कोर्सों की सीटें भरी जा सकें। यदि इसके बाद भी किसी कोर्स की सीटें खाली रह जाती हैं तो सीयूइटी में दूसरे कोर्सों में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले छात्रों को नियमों में ढील देकर प्रवेश का मौका दिया जाए। यदि सीटें खाली रह जाती हैं तो उन्हें भरने के लिए नए सिरे से विश्वविद्यालय फिर से प्रवेश परीक्षा आयोजित कर सकता है।

 ताकि उन छात्रों को मौका मिल सके, जो किसी कारण से सीयूइटी में शामिल नहीं हो पाए थे। यूजीसी के चेयरमैन ने विश्वविद्यालयों से परीक्षा को पूरी पारदर्शिता के साथ कराने और आरक्षण नियमों का पालन करने की सलाह दी है। यूजीसी के चेयरमैन ने विश्वविद्यालयों को यह निर्देश तब दिया है, जब देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है। काफी सीटें दाखिला न लेने के चलते खाली रह जाती हैं। यूजीसी के चेयरमैन का मानना है इन्हें भरने की कोशिश करनी चाहिए।


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