नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में चयन बोर्ड और उच्चतर आयोग का विलय
प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का आखिरकार नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में विलय हो गया है। शासन के विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से आठ अगस्त को विलय का आदेश नए आयोग के सचिव को भेजा गया है। इसी के साथ चयन बोर्ड और उच्चतर का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो गया।
नए आयोग को व्यावहारिक रूप से क्रियाशील करने के लिए उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के कर्मचारी नए आयोग को अंतरित हो गए। दोनों पुराने आयोग के समक्ष लंबित कोई मामला, उनकी आस्तियां, ऋण, देनदारियां, बाध्यताएं एवं पूर्णकालिक कर्मचारियों की सेवाएं भी नए आयोग को अंतरित हो गई। विलय के साथ ही दोनों पुराने आयोग के कर्मचारियों के वेतन भुगतान का रास्ता भी साफ हो गया है।
कर्मचारियों को दो महीने से जबकि नए आयोग के सदस्यों को चार महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। जानकारों की मानें तो नए आयोग का खाता खोलने का आदेश होगा तब कहीं वेतन भुगतान हो सकेगा।
चार दशक से अधिक सक्रिय रही दोनों संस्थाएं
प्रदेश के साढ़े चार हजार से अधिक सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्यो, प्रधानाध्यापकों, प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) के पदों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन 1982 में हुआ था। चार दशक से अधिक समय तक सक्रिय रहने के बाद चयन बोर्ड का अस्तित्व अब समाप्त हो गया है। वहीं प्रदेश के 331 सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर और प्राचार्यों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की स्थापना 1980 में हुई थी।
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का विलय कर दिया गया है। शासन की ओर से इस बाबत आदेश जारी किया गया है। ऐसे में लंबित भर्तियों को लेकर शिक्षा सेवा चयन आयोग की सक्रियता बढ़ने की उम्मीद है।
शासन ने नए आयोग का गठन तो कर दिया था लेकिन उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग और चयन बोर्ड को नए आयोग में अधिकृत रूप से विलय करने का आदेश जारी नहीं किया था। अब दोनों भर्ती संस्थानों को अधिकृत रूप से समाप्त करते हुए उनके विलय से संबंधित आदेश जारी कर दिए गए हैं।
हालांकि, आयोग में अभी स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है और न ही परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति की गई है। ऐसे में अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों और अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में टीजीटी-पीजीटी के 4163 पदों पर भर्ती परीक्षा फंसी हुई है।
नए आयोग में उच्चतर और चयन बोर्ड के विलय का आदेश जारी किए जाने के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि आयोग के अध्यक्ष एवं परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति शीघ्र होगी और जल्द ही लंबित भर्तियों की परीक्षा तिथियां घोषित की जाएंगी।
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