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Friday, August 2, 2024

NTA ने जिस तरह टेस्ट कराया वह गंभीर चिंता का विषय : सुप्रीम कोर्ट, भविष्य में परीक्षा के लिए और चाक-चौबंद व्यवस्था की नसीहत

नीट-यूजी में कोई व्यवस्थागत चूक नहीं, इसलिए रद्द नहीं : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रश्नपत्र लीक की चिंताओं के बीच उसने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी), 2024 इसलिए रद्द नहीं की, क्योंकि इसकी शुचिता में व्यवस्थागत चूक नहीं पाई गई।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने 23 जुलाई को सुनाए गए आदेश के विस्तृत कारणों में कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को अपना ढुलमुल रवैया बंद करना चाहिए क्योंकि यह छात्रों के हित में नहीं है। 

पीठ ने कहा, नीट-यूजी 2024 में पेपर लीक सिर्फ पटना और हजारीबाग तक सीमित था। पीठ ने कई निर्देश जारी किए तथा एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए केंद्र की ओर से इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में गठित समिति के दायरे का विस्तार किया। साथ ही समिति से परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करने के लिए विभिन्न उपायों पर अपनी रिपोर्ट 30 सितंबर तक प्रस्तुत करने को भी कहा है। 


एसओपी तैयार करेगी समिति 
पीठ ने कहा कि राधाकृष्णन समिति को परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने के मद्देनजर उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने पर विचार करना चाहिए। वहीं, परीक्षा के दौरान जो समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, केंद्र सरकार की ओर से उन्हें दूर किया जाना चाहिए।


NTA ने जिस तरह टेस्ट कराया वह गंभीर चिंता का विषय : सुप्रीम कोर्ट,  भविष्य में परीक्षा के लिए और चाक-चौबंद व्यवस्था की नसीहत

• केंद्र सरकार की ओर से गठित कमेटी का दायरा बढ़ाया

• परीक्षा को फूलप्रूफ बनाने के तरीकों पर रिपोर्ट देने को कहा



नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने भले ही मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) रद करके नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से इन्कार कर दिया हो, लेकिन इस वर्ष परीक्षा में हुई गड़बड़ियों के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को कठघरे में खड़ा किया है। कोर्ट ने कहा कि अभी तक की चर्चा से यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि नीट की शुचिता प्रणालीगत स्तर पर दूषित हुई, लेकिन एनटीए ने इस वर्ष जिस तरह परीक्षा कराई, वह गंभीर चिंताओं को जन्म देता है। यह बहाना नहीं हो सकता कि परीक्षा हजारों सेंटरों पर हुई थी या परीक्षा में बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। नीट जैसी परीक्षा आयोजित करने के लिए एनटीए के पास पर्याप्त फंडिंग, समय और मौका था। शीर्ष अदालत ने भविष्य में परीक्षा के लिए चाक- चौबंद व्यवस्था की नसीहत देते हुए कहा कि सिस्टम ऐसा होना चाहिए जिसमें लोगों का भरोसा जगे। 


एनटीए में सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय कमेटी का दायरा बढ़ाते हुए सुप्रीम - कोर्ट ने कमेटी से परीक्षा को फूलप्रूफ बनाने के लिए अपनाए जाने वाले ? तरीकों पर विचार कर रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने यह भी बताया कि किन-किन पहलुओं पर कमेटी विचार करेगी व उसका समय बढ़ाते हुए उसे 30 सितंबर तक शिक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद शिक्षा मंत्रालय एक महीने में - सिफारिशों पर निर्णय लेगा। रिपोर्ट पर अमल का एक्शन प्लान तैयार 1 करेगा और अमल के बारे में निर्णय लेने के दो सप्ताह के भीतर कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेगा। 

ये आदेश सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पार्टीवाला व मनोज मिश्रा की पीठ ने नीट में गड़बड़ियों और पेपर लीक मामले में दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि कई चीजें ऐसी हैं जिसके कारण नीट पर सवाल खड़ा होता है। प्रश्नपत्र पटना और हजारीबाग में लीक हुआ। एक केंद्र में स्ट्रांग रूम का पीछे का दरवाजा खुला था और अनधिकृत व्यक्ति को प्रश्नपत्र मिला। इससे संकेत मिलता है कि सुरक्षा में गंभीर खामी थी। एनटीए को प्रभावी और कड़े सुरक्षा मानकों को लागू करना चाहिए था। यह भी पता चला कि प्रश्नपत्र ई-रिक्शा से भेजे गए और प्राइवेट कोरियर कंपनियों की सेवाएं ली गईं। 

याची ने सही मुद्दा उठाया है कि एनटीए ने परीक्षा के बाद ओएमआर शीट सील करने के लिए कोई समय निश्चित नहीं किया था। ऐसे में बेईमान लोग हेरफेर कर सकते हैं। दूसरी चिंता का विषय यह है कि एनटीए ने उन लोगों पर भरोसा किया जिन पर वह सीधी नजर नहीं रख सकती थी। कोर्ट ने कहा कि कई तरीके अपनाए जा सकते थे जिनसे परीक्षकों पर नजर रखना सुनिश्चित होता। कोर्ट ने गलत प्रश्न-पत्र बांटे जाने और ग्रेसमार्क का मुद्दा भी उठाया और एनटीए से विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से विचार करके एक प्रोटोकाल तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने एनटीए से कहा है कि फैसले में उठाए गए सभी पहलुओं पर वह ध्यान दे।


मदद और प्रशिक्षण

परीक्षा में शामिल छात्रों को तनाव से बचाने के लिए भी कोर्ट ने सरकार से एक बेहतर योजना तैयार करने व उसे लागू करने का सुझाव दिया है। इसके लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति करने को भी कहा है। साथ ही परीक्षा में शामिल होने वाले कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया है। जिसमें उन्हें परीक्षा की शुचिता व सुरक्षा के लिए अपनाए जाने वाली तकनीक से अवगत कराने की सलाह दी है।

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