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Wednesday, May 10, 2023

अर्हता स्पष्ट होते ही एक साथ आएंगी कई भर्तियां

अर्हता स्पष्ट होते ही एक साथ आएंगी कई भर्तियां


प्रयागराज । समकक्ष अर्हता स्पष्ट न होने के कारण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की कई महत्वपूर्ण भर्तियां अटकी हुई हैं। आयोग की ओर से कई बार पत्र भेजे जाने के बाद शासन स्तर से जल्द ही इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं। अर्हता स्पष्ट होते ही एक साथ कई भर्तियां आएंगी। इसमें दो से तीन माह का वक्त लग सकता है।


अर्हता स्पष्ट न होने के कारण 6900 पदों पर भर्तियां फंसी हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर आयोग ने संबंधित विभागों और शासन को समकक्ष अर्हता स्पष्ट किए जाने के लिए पत्र लिखा है। अर्हता के विवाद के कारण एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती,अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती, समीक्षा (आरओ) / सहायक अधिकारी (एआरओ) अधिकारी (एआरओ) भर्ती, प्रवक्ता भर्ती समेत के दूसरी भर्तियों के विज्ञापन अटके हुए हैं।


विभागों और शासन की ओर से स्थिति स्पष्ट न किए जाने के कारण प्रमुख भर्तियों पर ब्रेक लग गया है जबकि इन सभी भर्तियों के लिए पदों का अधियाचन आयोग को काफी पहले ही मिल चुका है। आयोग ने अपने स्तर से भर्तियां शुरू करने की तैयारी कर रखी है और अब समकक्ष अर्हता स्पष्ट होने का इंतजार है। अर्हता स्पष्ट होते ही नई भर्तियों का विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा।


आयोग के सूत्रों का कहना है कि जिन भर्तियों में समकक्ष अर्हता का विवाद है, उन्हें आयोग के कैलेंडर में शामिल नहीं किया गया, लेकिन समीक्षा तैयारी यही है कि जितने पदों के लिए अधियाचन मिल चुके हैं, अर्हता स्पष्ट होते ही उन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। दो से तीन माह में इन सभी भर्तियों में समकक्ष अर्हता को लेकर स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है।
 



शासन की ढिलाई से फंसीं 6900 पदों पर भर्तियां अर्हता निर्धारित करने के लिए आयोग ने कई बार लिखा पत्र

डिग्री या डिप्लोमा को समकक्ष अर्हता की श्रेणी में रखने का मामला


प्रयागराज समकक्षता निर्धारण के फेर में 6900 पदों पर भर्तियां फंसी हुई हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) शासन स्तर से समकक्ष अर्हता पर स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रहा है। जब तक निर्धारण की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक आयोग नई भर्ती का विज्ञापन भी जारी नहीं करेगा।


समकक्षता निर्धारण को लेकर जो भर्तियां फंसी हुईं हैं, उनमें आरआई परीक्षा भी शामिल है। परीक्षा को दो साल बीत चुके हैं लेकिन समकक्षता निर्धारण न होने से कुछ पदों का परिणाम अटका हुआ है। इस पर निर्णय के लिए आयोग और शासन के स्तर से कमेटी बनाई जानी थी। आयोग ने तो कमेटी बना दी, लेकिन शासन स्तर पर कमेटी गठित नहीं हुई। आयोग चाहता है कि जो विभाग पदों का अधियाचन भेजें, वे पद के लिए निर्धारित समकक्ष अर्हता भी स्पष्ट करें। अमूमन विभाग किसी पद की अर्हता के रूप में यही अंकित करते हैं कि अभ्यर्थी स्नातक हो या उसके पास समकक्ष अर्हता हो या फिर लिख दिया जाता है कि अभ्यर्थी परास्नातक हो अथवा उसके पास समकक्ष अर्हता हो। विभाग यह स्पष्ट नहीं करते कि किस प्रकार की डिग्री या डिप्लोमा को समकक्ष अर्हता की श्रेणी में रखा जाए।


ज्यादातर भर्तियों में इसी वजह से विवाद होता है। आयोग जब परिणाम जारी करता है तो उसे अपने स्तर से समकक्ष अर्हता निर्धारित करनी पड़ती है। ऐसे में जो अभ्यर्थी अर्हता के विवाद से छंट जाते हैं वे कोर्ट की शरण में चले जाते हैं। इसी वजह से भर्तियां अटक जाती हैं और अभ्यर्थियों को परिणाम के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ता है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि हर भर्ती में समकक्ष अर्हता का निर्धारण पहले से अनिवार्य किया जाए।


हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में आयोग ने उन सभी पदों के लिए समकक्ष अर्हता निर्धारित करने के लिए संबंधित विभागों एवं शासन को पत्र भेजा, जिन पदों को लेकर अक्सर अर्हता का विवाद होता है। इनमें एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती, प्रवक्ता भर्ती, समीक्षा अधिकारी (आरओ) / सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ) भर्ती, कृषि सेवा, अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती शामिल है।


आयोग के पास इन सभी भर्तियों के लिए रिक्त पदों के अधियाचन आ चुके हैं, लेकिन समकक्ष अर्हता स्पष्ट न होने से भर्ती शुरू नहीं हो पा रही है। अर्हता स्पष्ट न होने के कारण आयोग ने वर्ष 2023 के कैलेंडर में कई महत्वपूर्ण भर्तियों को शामिल नहीं किया। आयोग के सूत्रों का कहना है कि समकक्ष अर्हता का निर्धारण की प्रक्रिया पूरी होते ही संबंधित भर्ती परीक्षाओं का विज्ञापन तुरंत जारी कर दिया जाएगा।

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