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Monday, February 27, 2023

अग्निपथ योजना वैध : रोक के लिए दायर सभी याचिकाएं खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- दखल की कोई वजह नहीं

अग्निपथ योजना वैध : रोक के लिए दायर सभी याचिकाएं खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- दखल की कोई वजह नहीं



नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को वैध करार दिया है। इसे चुनौती देने वाली सभी 23 याचिकाएं खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा, राष्ट्रहित में बनी यह योजना सेना को ज्यादा सक्षम बनाती है। हमें इसमें हस्तक्षेप की कोई वजह नजर नहीं आती।


हाईकोर्ट ने पूर्व में जारी विज्ञापनों के तहत सशस्त्र सेनाओं में हो रही भर्ती प्रक्रिया को लेकर दायर याचिकाएं भी खारिज कर दीं। कहा, अभ्यर्थी भर्ती का अधिकार नहीं मांग सकते। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने सोमवार को पक्षकारों और केंद्र को सुनने के बाद 15 दिसंबर को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था। इस मामले में केरल, पंजाब, हरियाणा, पटना, उत्तराखंड स्थित हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित करने या उच्च अदालत का निर्णय आने तक लंबित रखने का आदेश दिया था।


कोर्ट ने कहा- जिन्हें समस्या, अग्निपथ में शामिल न हों

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि इसकी वजह से उनके किन अधिकारों का हनन हो रहा है? यह स्वैच्छिक योजना है, जिन्हें समस्या है, वे इस योजना से सेना में भर्ती न हों। साथ ही, कहा कि जज सैन्य मामलों के विशेषज्ञ नहीं हैं। इसे थल, नौसेना व वायुसेना के विशेषज्ञों ने बनाया है।


उम्र में छूट से 10 लाख अभ्यर्थियों को लाभ

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और स्थायी अधिवक्ता हरीश वैद्यनाथन ने बताया कि यह योजना रक्षा क्षेत्र की भर्तियों के लिहाज से सबसे बड़ा बदलाव है। उम्र में दी गई दो साल की छूट से दस लाख अभ्यर्थियों को लाभ हुआ। कई अन्य निर्णय भी हुए, जिन्हें हलफनामे में बताने की जरूरत नहीं, लेकिन सरकार ने अच्छे इरादे से काम किया है। 

■ केंद्र ने बताया, यह नीति जारी करने से पहले बड़े स्तर पर अध्ययन हुए। इसे हल्के ढंग से नहीं लिया गया, योजना को लेकर सरकार पूरी तरह सजग और जानकार है।



अग्निवीर सिपाही से नीचे होंगे
केंद्र सरकार ने साफ किया, अग्निवीर अलग काडर है। यह सिपाही से नीचे की रैंक होगी।



अग्निपथ योजना राष्ट्रहित में: कोर्ट

नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को सैन्य बलों में अग्निवीरों की भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि योजना को न सिर्फ राष्ट्रहित में बल्कि सेनाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सैन्य विशेषज्ञों की राय से तैयार किया गया है।


मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कि अग्निपथ योजना को लागू करना सरकार का नीतिगत मसला है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि सेना भर्ती की यह योजना जनहित में उठाया गया कदम है। पीठ ने कहा है कि यह योजना भारतीय सशस्त्र बलों को संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस जैसे देशों के अनुरूप लाएगा। पीठ ने इसे सरकार का नीतिगत फैसला बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के फैसले विचार करने के बाद लिए जाते हैं।


पिछली भर्ती योजना के अनुसार नियुक्ति नहीं

उच्च न्यायालय ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया, रक्षा सेवा में पिछली भर्ती योजना के अनुसार नियुक्ति देने की मांग की थी। सरकार ने अग्निपथ योजना लागू होने के पहले की सभी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया था। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं / उम्मीदवारों के पास यह दावा करने का निहित अधिकार नहीं है कि भर्ती पूरी की जानी चाहिए।

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