PCS J के संशोधित परिणाम पर हाईकोर्ट ने उठाया सवाल, कोर्ट ने कहा, स्वत संज्ञान लेकर नया परिणाम घोषित करना एक गंभीर मामला
07 सितम्बर 2024
प्रयागराज : लोक सेवा आयोग की पीसीएस जे 2022 परीक्षा का अंतिम संशोधित परिणाम जारी करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है। कोर्ट ने आयोग से हलफनामा दाखिल कर उत्तर पुस्तिकाओं के मिलान और पुन मिलान कर संशोधित परिणाम जारी करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी मांगी है। इसके साथ ही इस मामले में प्रदेश सरकार को भी अपना नजरिया स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। संशोधित परिणाम में पूर्व (पिछले साल घोषित परिणाम) में चयनित हुए दो अभ्यर्थियों को चयन से बाहर कर दिया गया है तथा दो नए अभ्यर्थियों के चयन की संस्तुति की गई है।
पीसीएस जे 2022 के अभ्यर्थी श्रवण पांडेय की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि हालांकि याची के उठाए गए मुद्दों पर अभी कोर्ट को विचार करना है। इस दौरान लोक सेवा आयोग ने स्वत संज्ञान लेते हुए पीसीएस जे 2022 का संशोधित परिणाम 30 अगस्त 2024 को जारी कर दिया और राज्य सरकार को भी इस संबंध में 4 सितंबर 2024 को जानकारी प्रेषित कर दी गई है।
लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता ने इस पत्राचार की प्रति अदालत के समक्ष प्रस्तुत की। कोर्ट ने कहा कि इससे पता चलता है कि आयोग की ओर से स्वत संज्ञान लेकर परिणाम को संशोधित कर दिया गया है। जिसमें दो अभ्यर्थियों के चयन को निरस्त कर दिया गया और दो अन्य अभ्यर्थियों के चयन की संस्तुति की गई।
बाहर हुए अभ्यर्थी भी पहुंचे हाईकोर्ट
संशोधित अंतिम परिणाम में पिछले साल (30 अगस्त 2023) को घोषित अंतिम परिणाम में चयनित हुए जिन दो अभ्यर्थियों आलोक द्विवेदी और अभिषेक भूषण का चयन निरस्त कर उन्हें बाहर कर दिया गया है, इन दोनों अभ्यर्थियों ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। कोर्ट ने कहा कि लोक सेवा आयोग की ओर से अंतिम चयन परिणाम और नियुक्ति पत्र जारी होने के बाद जबकि चयनित अभ्यर्थी सेवा में भी आ चुके हैं स्वत संज्ञान लेकर नया परिणाम घोषित करना प्रथमदृष्टया एक गंभीर मामला है।
यदि आयोग के समक्ष यह रास्ता खुला है तो इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि मगर इससे पहले हम प्रदेश सरकार का नजरिया जानना चाहते हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव नियुक्ति को इस मामले में स्पष्ट और लिखित जानकारी देने का निर्देश दिया है। अदालत ने लोक सेवा आयोग को भी उत्तर पुस्तिकाओं के मिलान और पुन मिलान कर संशोधित परिणाम जारी करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी विस्तृत हलफनामा दाखिल कर देने के लिए कहा है।
कोर्ट ने 14 जून 2024 को भेजे गए नोटिस के संबंध में उठाए गए कदमों की भी विस्तार से जानकारी देने के लिए कहा है। इससे पूर्व याची के अधिवक्ता ने लोक सेवा आयोग की ओर से दाखिल तमाम शपथ पत्रों के जवाब में विस्तृत प्रति उत्तर शपथ पत्र कोर्ट में दाखिल किया। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तिथि नियत की है।
बदल गए थे पीसीएस जे की कॉपियों के दो बंडल
उल्लेखनीय की याची श्रवण पांडेय ने पीसीएस जे 2022 की लिखित परीक्षा में अपनी अंग्रेजी और हिंदी की उत्तर पुस्तिकाओं के पन्ने फटे होने और दूसरे अभ्यर्थी के अंक उसे दिए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद लोक सेवा आयोग ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि उसने इस मामले पर स्वत संज्ञान लिया है और सभी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की जा रही है। जांच में 25-25 उत्तर पुस्तिकाओं के दो बंडल की अदला-बदली का मामला सामने आया। इनके नंबर एक-दूसरे को दे दिए गए थे। इस वजह से कुल 50 अभ्यर्थियों का परिणाम प्रभावित हो रहा था।
आयोग ने जांच कर पांच अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए सफल घोषित कर उनका इंटरव्यू करवाया, जिसमें याचिका दाखिल करने वाले श्रवण पांडेय भी शामिल थे। इंटरव्यू के बाद आयोग ने 30 अगस्त 2024 को अंतिम संशोधित परिणाम जारी किया, जिसमें दो चयनित अभ्यर्थी चयन से बाहर कर दिए गए तथा दो नए अभ्यर्थियो का चयन करने की संस्तुति आयोग की ओर से की गई है।
PCS J: बाहर हुए केवल दो, लेकिन कई अभ्यर्थियों की बदल गई रैंक, संशोधित परिणाम जारी होने से मेरिट प्रभावित
कॉपियों की अदला-बदली से UPPSC की हुई किरकिरी
01 सितम्बर 2024
प्रयागराज। पीसीएस जे परीक्षा- 2022 के अंतिम चयन परिणाम में दो नए अभ्यर्थियों को चयनित किया गया और पूर्व में चयनित दो अभ्यर्थियों का चयन निरस्त कर दिया गया। लेकिन, इस प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इससे परिणाम की मेरिट भी प्रभावित हुई। वहीं, कई अभ्यर्थियों की तो रैंक ही बदल गई है।
आयोग ने पीसीएस जे परीक्षा 2022 का परिणाम 30 अगस्त - 2023 को जारी किया था। इसमें 303 पदों के मुकाबले 302 अभ्यर्थियों को चयनित घोषित किया गया था। एक पद का परिणाम उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका पर पारित अंतरिम आदेश के मद्देनजर घोषित नहीं किया गया था। हालांकि, संशोधित चयन परिणाम में सभी 303 पदों पर अभ्यर्थियों को चयनित घोषित किया गया है।
पूर्व में जारी परिणाम का संशोधित परिणाम से मिलान किया जाए तो रैंक एक से 40 तक कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है। लेकिन, 41 वीं रैंक से मेरिट प्रभावित हुई है और चयनित अभ्यर्थियों की रैंक बदल गई है। हालांकि, रैंक प्रभावित होने से अभ्यर्थियों के चयन में खास प्रभाव नहीं पड़ा है और दो अभ्यर्थियों का चयन ही निरस्त किया गया है, लेकिन, आयोग जैसे प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित भर्ती संस्थान के लिए यह किसी दाग से कम नहीं।
अगर मूल्यांकन के दौरान गलत कोडिंग करते समय 50 अभ्यर्थियों की कॉपियों की अदला-बदली न हुई होती तो दो योग्य अभ्यर्थियों का पहले ही चयन हो गया होता। वहीं, पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों को बिना किसी गलती के नौकरी से हाथ न धोना पड़ता। अब आयोग कर्मियों की गलतियों की वजह से पूर्व में चयनित दो अभ्यर्थियों को नुकसान उठाना पड़ा है।
फिलहाल, गलती करने वाले आयोग के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। आयोग ने इससे सीख लेकर भविष्य में ऐसी गलती न हो, इसके लिए कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं। आयोग के सूत्रों का कहना है कि कोडिंग की प्रक्रिया में कोई परिवर्तन तो नहीं किया गया है। लेकिन, कई चरणों में कोडिंग की जांच की व्यवस्था लागू की गई है।
साथ ही भविष्य में मुख्य परीक्षा के आवेदन पत्र में अभ्यर्थियों की राइटिंग के नमूने भी लिए जाएंगे। ताकि, कोई अभ्यर्थी अपनी कॉपी में राइटिंग बदले जाने का आरोप लगाता है तो इसका सत्यापन कराया जा सके।
कॉपियों की अदला-बदली का मामला राइटिंग बदले जाने के आरोपों की जांच के बाद ही सामने आया था। इसके बाद आयोग को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
🔴 पूर्व में चयनित दो अभ्यर्थी बाहर
🔴 उत्तर पुस्तिकाओं के निरीक्षण के बाद साक्षात्कार में शामिल 5 आवेदकों में से किसी का चयन नहीं
याची श्रवण पांडेय का भी नहीं हुआ चयन
आयोग ने 17 अगस्त को जिन पांच अभ्यर्थियों को सफल घोषित करते हुए उनके रोल नंबर जारी किए थे, उनमें परिणाम को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले श्रवण कुमार पांडेय का रोल नंबर भी शामिल था। शुक्रवार को जारी हुए परिणाम में यह पांचों रोल नंबर नहीं दिख रहे हैं। स्पष्ट है कि इन पांच में से किसी का चयन नहीं हुआ। आयोग के सूत्रों का कहना है कि कॉपी बदलने से प्रभावित अभ्यर्थियों में वे अभ्यर्थी भी शामिल थे, जो इंटरव्यू दिए थे पर चयन नहीं हो सका था।
अनुमान लगाया जा रहा है कि जिन दो नए अभ्यर्थियों का चयन हुआ है वो इसी तरह के कोई दो अभ्यर्थी हो सकते हैं। पिछले साल 302 लोगों को सफल किया गया था जबकि अब 303 को सफल किया गया है। कहा जा रहा है कि एक अभ्यर्थी ने इस परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल थी, इसलिए आयोग ने पिछले साल एक पद का परिणाम रोक दिया था, अब उसका परिणाम भी घोषित कर दिया गया है। इस वजह से संख्या 302 से 303 हो गई है।
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने न्यायिक सेवा सिविल जज (पीसीएस-जे) भर्ती-2022 का संशोधित अंतिम परिणाम शुक्रवार को घोषित कर दिया। इसमें दो नए अभ्यर्थी सफल हुए हैं। वहीं पूर्व में चयनित दो अभ्यर्थियों का चयन निरस्त कर दिया गया है। संशोधित परिणाम में कई की मेरिट भी परिवर्तित हो गई है।
आयोग ने पीसीएस-जे 2022 का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया था। लेकिन अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिका बदले जाने व पन्ना फाड़ने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। इसके बाद आयोग ने सभी अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाओं के निरीक्षण का मौका दिया था।
निरीक्षण में पाया गया था कि कोडिंग में गड़बड़ी की वजह से कई अभ्यर्थियों को गलत नंबर मिल गए हैं। इसके बाद आयोग ने मुख्य परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी करते हुए पांच नए अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में शामिल होने का मौका दिया। इनमें याचिकाकर्ता श्रवण पांडेय भी शामिल थे।
इन पांचों अभ्यर्थियों का अलग से साक्षात्कार कराया गया। इसके बाद आयोग ने शुक्रवार को संशोधित अंतिम परिणाम भी घोषित कर दिया। आयोग ने सफल होने वाले सभी 303 अभ्यर्थियों का परिणाम घोषित किया है। खास बात यह कि अलग से आयोजित साक्षात्कार में शामिल पांचों अभ्यर्थियों में से किसी का भी चयन नहीं हुआ है।
ऐसे में माना जा रहा है कि चयनित होने वाले दो नए अभ्यर्थी पूर्व में आयोजित साक्षात्कार में ही शामिल हुए थे लेकिन अंतिम तौर पर उनका चयन नहीं हो पाया था। अब नए सिरे से मेरिट के निर्धारण के बाद जारी संशोधित परिणाम में उनका चयन हुआ है।
उठे सवाल, आखिर क्यों नाम छिपा रहा है आयोग
संशोधित अंतिम परिणाम जारी होने के बाद आयोग की भूमिका पर एक बार फिर सवाल उठे हैं, सवाल इस बात को लेकर उठाया जा रहा है कि आयोग बाहर हुए और सफल हुए अभ्यर्थियों के नाम आखिर क्यों छिपा रहा है। संशोधित परिणाम में आयोग ने इसका उल्लेख करने के बजाए 303 चयनित अभ्यर्थियों की सूची ठीक उसी तरह से जारी कर दी है, जैसे पिछले साल 302 अभ्यर्थियों की जारी की गई थी। दोनों सूची देखने से एक बात और स्पष्ट हो रही है कि परिणाम संशोधित होने के बाद कई अभ्यर्थियों के रैंक में भी बदलाव हुआ है।
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