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Tuesday, February 27, 2018

सीबीआई के फोरेंसिक विशेषज्ञों के सवाल से छूट रहे हैं पसीने, बार बार नम्बर बदले जाने के सवाल पर आयोग के कर्मचारी मौन

■ सीबीआइ जांच रुकवाने पर कोर्ट का फैसला आज
इलाहाबाद : आयोग की सीबीआइ जांच के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बुधवार को आएगा। सीबीआइ जांच रोकने के लिए आयोग के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव और सदस्यों की ओर से दाखिल अपील पर मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट फैसला सुनाएगी।


नंबरों से छेड़छाड़ कर साफ्टवेयर बदलने का भी पता लगा ले रहे सीबीआइ के फोरेंसिक एक्सपर्ट

■  गवाहों के सामने खंगालते हैं डाटा, असहयोग बरकरार
इलाहाबाद : आयोग के किसी भी कंप्यूटर के डाटा, फोरेंसिक विशेषज्ञ खंगाल रहे हैं तो उनके साथ सीबीआइ किसी न किसी गवाह को अवश्य रख रही है। यह गवाह केंद्र सरकार के किसी विभाग के अधिकारी रहते हैं। सीबीआइ के सूत्र बताते हैं कि आयोग में उच्चाधिकारियों का रवैया लगातार असहयोगात्मक है। कोई भी जानकारी अधिकारी सीधे मांगने पर नहीं दे रहे। इसकी प्रमुख वजह राज पता चलने की घबराहट ही है।


इलाहाबाद : भर्तियों की जांच कर रही सीबीआइ के फोरेंसिक विशेषज्ञों से उप्र लोकसेवा आयोग को पसीने छूटने लगे हैं। जांच शुरू करने से पहले ही सीबीआइ को इस बात का आभास हो गया था कि कंप्यूटरों में परीक्षाओं से संबंधित डाटा से छेड़छाड़ हुई होगी। टीम ने इसीलिए शुरुआती जांच प्रक्रिया फोरेंसिक विशेषज्ञों को साथ लेकर शुरू की। विशेषज्ञों के प्रशिक्षण और उनकी ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले अत्याधुनिक साफ्टवेयर से ही घबराकर आयोग का रुख असहयोगात्मक है।



सीबीआइ की फोरेंसिक टीम में देश के कई ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि इन वैज्ञानिकों की टीम कंप्यूटर में किसी भी तरह के साफ्टवेयर की अदला बदली की जानकारी अविलंब प्राप्त कर लेती है। टीम के पास जो साफ्टवेयर हैं उससे यह भी पता लग जाता है कि कंप्यूटर जिस स्थान पर रखा है वहां कब रखा गया था। इसके अलावा फोरेंसिक वैज्ञानिकों का दल यह पता लगाने में दक्ष है कि कंप्यूटर में नंबरों की अदला बदली कब और कैसे हुई। जैसे किसी अभ्यर्थी को परीक्षा में पहले 100 नंबर दिया गया। डिलीट कर उसका नंबर 80 किया गया और पुन: किसी अधिकारी के निर्णय पर 80 नंबर को भी 60 कर दिया गया। इसके बाद राज दफन करने को साफ्टवेयर ही बदल दिया गया। यानी वर्तमान में उस नए साफ्टवेयर के चलते कंप्यूटर स्क्रीन पर अभ्यर्थी के 60 नंबर ही दिखेंगे। जबकि फोरेंसिक टीम जब विशेष साफ्टवेयर के जरिए पुराने साफ्टवेयर का पता लगाकर उसके रिकार्ड खंगाल रही है तो अभ्यर्थी के पुराने यानी 100 और इसके बाद 80 नंबर भी दिख रहे हैं। यह नंबर बार-बार क्यों बदले गए, सीबीआइ के यह पूछने पर आयोग के कंप्यूटर विशेषज्ञों या किसी अन्य के पास जवाब नहीं है।

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