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Thursday, February 22, 2018

यूपीपीएससी में भर्तियों में भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाली प्रतियोगियों ने दर्ज कराया बयान

■ अब ‘सुहासिनी’ ने दर्ज कराए बयान


 इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार का पता देने वाली सुहासिनी बाजपेई ने गुरुवार को सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन से मिलकर अपना पक्ष प्रस्तुत किया। रायबरेली निवासिनी सुहासिनी पीसीएस 2015 की अभ्यर्थी रही हैं और मुख्य परीक्षा में आयोग ने उनकी उत्तर पुस्तिका अन्य अभ्यर्थी रवींद्र तिवारी से बदल दी थी। सुहासिनी ने कहा कि संवैधानिक संस्था की काली करतूतों पर न्याय पालिका क्या कदम उठाती है इसका उन्हें बेसब्री से इंतजार होगा।



महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हंिदूी विश्वविद्यालय वर्धा में सहायक प्रोफेसर डॉ. सुहासिनी को पीसीएस 2015 की मुख्य परीक्षा में आयोग ने अनुत्तीर्ण घोषित किया था। आरटीआइ से जानकारी मांगने पर आयोग ने उसे दूसरे अभ्यर्थी की कापी दिखाई, जो कापी उसकी बताई गई उसमें इतने कम अंक मिले थे कि वह मुख्य परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गई। पांच महीने बाद सुहासिनी को मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित कर इंटरव्यू हुआ। लेकिन, अंतिम परिणाम में असफल घोषित हुईं। यह प्रकरण ‘दैनिक जागरण’ में प्रमुखता से प्रकाशित होने पर प्रधानमंत्री ने उठाया था।



 बीते नौ मार्च को आयोग ने उन्हें स्पीड पोस्ट से ब्योरा भेजकर बताया कि उनकी समाज कार्य विषय की कॉपी फेक कोड आवंटन में गड़बड़ी के चलते बदल गई थी। सुहासिनी का कहना है कि उनकी उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन सही से नहीं किया गया। 




■ अंशिता मिश्र को लग गए पंख

 इलाहाबाद : आयोग से हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच होने पर रायबरेली की एक और युवती अंशिता मिश्र की ों को भी पंख लग गए हैं। आरओ-एआरओ परीक्षा 2013 की अभ्यर्थी अंशिता को आयोग उनका प्राप्तांक और कटऑफ नहीं बता रहा है। आरटीआइ के तहत अंशिता को जानकारी देने में आयोग ने आनाकानी की। गुरुवार को अंशिता के पिता ने सीबीआइ के कैंप कार्यालय पहुंचकर एसपी राजीव रंजन से मुलाकात की और बेटी की तरफ से बयान दर्ज कराए।



 अंशिता ने समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा 2013 की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 19 अक्टूबर, 2014 को इसकी मुख्य परीक्षा दी। इसमें वह अनुत्तीर्ण हो गई, क्योंकि उस समय परिणाम केवल प्रतियोगियों के रोल नंबर ही दर्शाते हुए घोषित किया था। परीक्षा में फेल घोषित होने पर उन्होंने आयोग में प्रत्यावेदन देकर अपने प्राप्तांक और कटऑफ जानना चाहा लेकिन, आयोग ने बताने से इन्कार किया। 




आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी तो अपीलीय अधिकारी राधेलाल ने बताया कि 17 अगस्त, 2015 के प्रार्थनापत्र पर 28 सितंबर को जवाब दिया जा चुका है इसलिए इसमें हस्तक्षेप संभव नहीं है। 28 सितंबर, 2015 को आयोग के अनु सचिव ओपी मिश्र ने पत्र में बताया कि शुल्क जमा न होने के कारण आरटीआइ अधिनियम के तहत जवाब नहीं दिया जा सकता। अंशिता मिश्र यह मानकर बैठ गई थीं कि अब उनका कुछ नहीं होने वाला। लेकिन, सीबीआइ जांच शुरू होने पर अंशिता की ें जगी हैं।


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