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Wednesday, February 14, 2018

सीबीआइ को दे रहे शिकायत लेकिन उम्मीदें सरकार से, भर्तियों में भ्रष्टाचार उजागर करने को साक्ष्य देने का सिलसिला लगातार जारी

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार के साक्ष्य जुटा रही सीबीआइ को प्रतियोगियों की ओर से भी साक्ष्य मिलने का सिलसिला जारी है। वहीं साक्ष्य देने के पीछे प्रतियोगियों की मंशा है कि भविष्य में उन्हें सरकार से इसका लाभ मिलेगा। सीधे मुलाकात और ई-मेल के जरिए सीबीआइ को अब तक एक हजार से अधिक प्रतियोगियों के प्रार्थना पत्र मेरिट व शैक्षिक अभिलेखों समेत मिल चुके हैं। सीबीआइ अब दुविधा में है कि वह इन्हें केवल साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल करे या फिर तत्कालीन भर्तियों में योग्य पाए जाने पर उन्हें लाभ देने के लिए सीबीआइ कोर्ट में सिफारिश करे। 



आयोग ने सपा शासन के दौरान पांच साल में जितनी भी भर्तियां कीं उनमें पीसीएस 2015 में सबसे अधिक धांधली के आरोप लगे। इसके अलावा भी अन्य भर्तियों में जाति विशेष के अभ्यर्थियों को ही मेरिट में प्राथमिकता देने के गंभीर आरोप हैं। प्रदेश में हजारों ऐसे प्रतियोगी हैं जिन्हें अनियमितता के चलते प्रशासनिक सेवा, न्यायिक सेवा, चिकित्सा शिक्षा, इंटर कालेजों में प्रवक्ता आदि भर्तियों में परीक्षा समिति की मनमानी का खामियाजा भुगतना पड़ा। अब सीबीआइ जांच शुरू होने पर ऐसे प्रतियोगियों में नई उम्मीद जगी है कि प्रदेश सरकार उन्हें निराश नहीं करेगी। 40 साल की उम्र सीमा पार कर चुके प्रतियोगियों की आस भी टूटी नहीं है।




 यही प्रमुख वजह भी है कि जांच कार्य में जुटी सीबीआइ के पास अपनी पीड़ा लिखित रूप से बताने वाले प्रतियोगियों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। सीबीआइ के पास इलाहाबाद स्थित कैंप कार्यालय में प्रत्येक दिन 15-20 प्रतियोगियों के प्रार्थना पत्र आ रहे हैं जिन्हें सील किया जा रहा है। जिनमें प्रतियोगी अपनी व्यथा बता रहे हैं और साक्ष्य भी दे रहे हैं कि उनकी योग्यता को दरकिनार किया गया। सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन को ई-मेल पर भी ढेरों शिकायतें मिल चुकी हैं। शिकायतों की संख्या एक हजार से अधिक पहुंच गई है। पिछले दिनों कई प्रतियोगियों ने एसपी राजीव रंजन से दिल्ली में भी मुलाकात उन्हें साक्ष्य सौंपे। 




सही शिकायतों पर ही लाभ 

सीबीआइ जांच को मिलीं कई शिकायतें आधारहीन हैं जबकि जिन प्रतियोगियों की शिकायत और साक्ष्यों में सच्चाई मिलेगी, जांच के आधार पर उन्हें कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा। भर्तियों में धांधली पाए जाने पर सीटें रिक्त होने की स्थिति में इन्हें सेवा का लाभ देने के लिए कोई फैसला भी हो सकता है। लेकिन, उन्हीं प्रतियोगियों पर विचार होगा जिनकी शिकायतें, साक्ष्य और भर्तियों में मनमाने तौर पर वंचित किए जाने का आधार मिलेगा। 


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