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Thursday, February 1, 2018

सीबीआइ जल्द दर्ज करा सकती है एफआइआर, सर्किट हाउस में प्रतियोगी छात्रों ने दर्ज कराया बयान

■ इलाहाबाद के किसी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के आसार

इलाहाबाद : सीबीआइ जिस तरह से उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों की जांच में जुट गई है और साक्ष्यों की धीरे-धीरे पुष्टि होने लगी है उससे आसार जताए जा रहे हैं कि जल्द ही भर्तियों में भ्रष्टाचार की एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है। आयोग ने भी अंदरूनी विरोध शुरू करके इस आशंका को बल दे दिया है। संभावना जताई जाने लगी है कि टीम इलाहाबाद में ही प्राथमिकी दर्ज करा सकती है।

प्रदेश में सपा शासन के दौरान आयोग से हुई सभी भर्तियों की जांच के लिए सीबीआइ ने इलाहाबाद में डेरा डाल दिया है। आइपीएस राजीव रंजन के नेतृत्व में सात सदस्यीय टीम आई थी। भर्तियों में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें और साक्ष्य के दावे के अनुसार टीम ने जांच तेज कर दी है। गुरुवार को केंद्र से सीबीआइ के और भी सदस्य आ गए। फिलहाल टीम में सदस्यों की संख्या 18-20 तक हो गई है। टीम को भर्तियों में भ्रष्टाचार के कुछ साक्ष्य भी मिले हैं जिसे फिलहाल गोपनीय रखा गया है। आसार जताए जा रहे हैं कि साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही इसकी एफआइआर हो सकती है।

यह भी संभावना है कि एफआइआर इलाहाबाद के ही किसी थाने में होगी, क्योंकि भर्तियां काफी अधिक हैं और जांच भी लंबे समय तक चलनी है। आयोग मुख्यालय यहीं पर है और साक्ष्य उपलब्ध कराने वाले तमाम प्रतियोगी भी इलाहाबाद में ही रहकर अन्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में अधिक भागदौड़ से बचने के लिए प्राथमिकी यहीं किसी थाने में दर्ज कराने का निर्णय लिया जा सकता है। हालांकि सीबीआइ या सरकार की तरफ से ऐसी कोई अधिकृत जानकारी अब तक नहीं आ सकी है। 

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष की मनमानी और सपा शासन में उनकी पैठ होने से खौफजदा प्रतियोगी युवाओं ने गुरुवार को सीबीआइ के सामने खुलकर अपनी शिकायतें दर्ज कराईं। सर्किट हाउस पहुंचे प्रतियोगियों ने अपनी शिकायत साक्ष्यों समेत दी। टीम प्रभारी राजीव रंजन ने भर्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप और उनके तथ्य संकलित किए। शिकायतों का अंबार लगा तो काबिल प्रतियोगियों को नियुक्ति की रेस से बाहर करने के ‘खेल’ उजागर हुए।

सीबीआइ की टीम आयोग में एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक हुई सभी भर्तियों की जांच कर रही है। इन भर्तियों में प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति समेत कई अन्य प्रतियोगियों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। सरकार ने 19 जुलाई को आयोग से हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने का एलान किया था। इससे प्रतियोगियों की उम्मीदों को पर लग गए। इस बीच सीबीआइ जांच में सहयोग के लिए और भी तथ्य जुटाने में लगे हैं, प्रतियोगी छात्रों से शिकायतें लेकर उन्हें संकलित किया जा रहा है। गुरुवार को सर्किट हाउस में तमाम प्रतियोगी पहुंचे। जिनका नेतृत्व अवनीश पांडेय ने किया।

एक दर्जन से अधिक छात्रों ने बयान दर्ज कराए। प्रतियोगी दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने लोअर सबॉर्डिनेट 2009 की परीक्षा दी थी। उन्हें नंबर कम दिए गए। बताया कि डिप्टी जेलर पद के लिए मेरिट के आधार पर चयन हो गया लेकिन, नियुक्ति आज तक नहीं दी गई है। अंजनी तिवारी ने बताया कि उन्हें समीक्षा अधिकारी 2014 की परीक्षा में 70 नंबर मिले थे। बाद में नंबर घटाकर 64 कर दिए गए। अरुणोश कुमार ने बताया कि पीसीएस 2009 की परीक्षा में 59 नंबर मिले थे जिन्हें बाद में घटाकर 30 कर दिया गया। एक अन्य प्रतियोगी छात्र अनिल कुमार ने बताया कि एग्रीकल्चर विभाग में तकनीकी सहायक पद की परीक्षा दी थी। परीक्षा के बाद सीटों में हेर-फेर कर दिया गया। संजय पांडेय ने बताया कि समीक्षा अधिकारी 2014 की परीक्षा में उन्हें कम नंबर दिए गए।

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