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Friday, February 2, 2018

उप्र लोकसेवा आयोग : टूटने लगे आयोग के कर्मचारी, बनेंगे सीबीआइ के गवाह

6:56:00 PM

आयोग से पांच साल में हुई सभी भर्तियों में भ्रष्टाचार का सच अब जल्द ही दिखने लगेगा। आयोग के ही कई कर्मचारी सीबीआइ के सामने राज उगल रहे हैं, जो आगे गवाह भी बनेंगे। सीबीआइ अफसरों के तेवर और उनके कंप्यूटर विशेषज्ञों के सवालों से कई कर्मचारी टूटे हैं। इससे आयोग में कइयों को फंसने का डर भी सताने लगा है।

बुधवार से आयोग में जांच कार्यवाही में जुटी सीबीआइ को तीसरे दिन यानि शुक्रवार को यह सफलता हाथ लगी है। परीक्षा विभाग में सीबीआइ की चार टीमें भर्तियों में की गई धांधली की तह तक जाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाने लगी है। सबसे अधिक प्रमाण सीबीआइ को कंप्यूटर और गोपन विभाग से ही मिलने हैं, क्योंकि पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के कार्यकाल में उत्तर पुस्तिकाएं संरक्षित रखने के नियम में बदलाव करके नष्ट किया जा चुका है, वहीं अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट, स्केलिंग के नंबर, अंक पत्र आदि कंप्यूटरों में संरक्षित रख लिए गए थे। इसके अलावा आरक्षण के बदले गए नियम, भर्तियों में धांधली छिपाने को तत्कालीन परीक्षा समिति के बार-बार बनाए जा रहे प्रस्तावों का रिकार्ड भी कंप्यूटरों में संरक्षित है। सीबीआइ को इन्हीं प्रमाण की तलाश ज्यादा है, जिसके आधार पर भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है। कुछ इन्हीं बिंदुओं से संबंधित सवालों के घेरे में आकर आयोग के कर्मचारियों को पसीने छूटने लगे हैं। सीबीआइ अफसरों ने गुरुवार से कर्मचारियों के पेंच कसने शुरू किए हैं तो उसका परिणाम भी मिलने लगा है। सूत्र बताते हैं कि आयोग के कई कर्मचारियों ने सीबीआइ अफसरों के सामने घुटने टेक दिए हैं। वे भर्तियों में हुई धांधली और उसके पीछे कारण बताने को सहमत हो गए हैं। हालांकि सीबीआइ अफसरों ने उन्हें इस बात की हिम्मत भी दी है कि किसी से डरने की जरूरत नहीं है।

जांच का दायरा बढ़ाने की मांग खारिज, बैरंग लौटे सपाई: भर्तियों में भ्रष्टाचार की सीबीआइ जांच का रुख मोड़ने की सपाइयों की मंशा शुक्रवार को सफल नहीं हो सकी। सर्किट हाउस पहुंचे छात्र नेताओं ने सीबीआइ के सामने यह मांग रखी कि आयोग से पांच साल में हुई भर्तियों की जांच करने की बजाए 1990 से अब तक हुए भ्रष्टाचार की जांच की जाए। इस बीच खुद को प्रतियोगी साबित न करने की दशा में छात्रनेताओं को उल्टे पांव वापस होना पड़ा।

शुक्रवार दोपहर में सपा नेता अभिषेक यादव, समाजवादी छात्रसभा और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुछ छात्रनेताओं के साथ सर्किट हाउस पहुंचे। इन सभी ने सीबीआइ अफसरों को ज्ञापन देना चाहा, जिसमें यह मांग की गई थी कि जांच का दायरा 2012 से 2017 की बजाए 1990 से अब तक बढ़ाना चाहिए, इसमें मंडल कमीशन की सिफारिशों के अनुरूप आरक्षण व्यवस्था की जांच की मांग की गई थी। इन छात्र नेताओं का कहना था कि लोकसेवा आयोग शुरू से ही धांधली और अनियमितताओं का गढ़ रहा है। यदि सरकार वाकई गंभीर है तो उसे 1990 से ही आयोग से हुई भर्तियों की जांच करवानी चाहिए। इस बीच सपाइयों से सीबीआइ के एक अफसर ने पूछा कि उनमें से प्रतियोगी छात्र कितने हैं, जो प्रतियोगी हैं उन्हीं की बात सुनी जाएगी। सीबीआइ अफसर के इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था। लिहाजा अफसर ने उन्हें बैरंग वापस लौटा दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष अवनीश यादव, आदिल हमजा, अखिलेश गुप्ता आदि शामिल रहे।

छेड़छाड़ पकड़ने को इमेजिंग डाटा स्कैनिंग

इलाहाबाद : आयोग से हुई भर्तियों में धांधली और कंप्यूटर डाटा से छेड़छाड़ करने वाले बच नहीं सकते। सीबीआइ की ‘इमेजिंग डाटा स्कैनिंग’ डिवाइस कंप्यूटरों में हुई हर छेड़छाड़ का पता आसानी से लगा लेगी। इस साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही सीबीआइ के हाथ महत्वपूर्ण सुराग लग सकते हैं। पीसीएस, पीसीएस जे, लोअर सबॉर्डिनेट जैसी परीक्षा में धांधली हमेशा के लिए दफन करने के इरादे से भले ही उत्तर पुस्तिकाएं जला दी गई हों लेकिन, उनके डाटा जैसे स्केलिंग में दिए गए नंबर, परीक्षा में प्राप्तांक आदि कंप्यूटरों में संरक्षित रखे गए। उनमें हेरफेर कर दिया गया। सीबीआइ ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। आयोग के गोपन विभाग और कंप्यूटर सेक्शन में सीबीआइ कई कंप्यूटरों को जब्त कर ‘इमेजिंग डाटा स्कैनिंग’ डिवाइस से पुराने रिकार्ड खंगाल रही है।

अन्याय बताने लखनऊ से आई प्रतियोगी

इलाहाबाद : सीबीआइ टीम को प्रतियोगियों की शिकायत मिलने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को तो लखनऊ की एक प्रतियोगी छात्र ने आकर पीसीएस 2015 में अपने साथ हुए अन्याय की व्यथा बताई। सौम्या नारायण श्रीवास्तव जो एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की बेटी हैं। वह सर्किट हाउस पहुंचीं। उन्होंने सीबीआइ अफसर को अपने अभिलेख सौंपे। बताया कि यूपी पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 2015 की वह अभ्यर्थी हैं। परीक्षा परिणाम में उन्हें 262 अंक दिए गए थे, जबकि सामान्य वर्ग की महिला का कटऑफ 263 है। आयोग ने संशोधित उत्तरकुंजी जारी की जिसमें उनका प्राप्तांक 264.35 रहा। फिर भी आयोग की ओर से उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए असफल घोषित किया गया। उन्होंने परीक्षा नियंत्रक को 22 जून 2015 को प्रार्थना पत्र देकर मुख्य परीक्षा में शामिल होने देने की मांग की गई थी जिस पर तत्कालीन परीक्षा समिति ने कोई विचार नहीं किया।

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