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Friday, June 15, 2018

चयन बोर्ड का पारदर्शिता का ढिंढोरा लेकिन अहम निर्णयों पर गोपनीयता का पर्दा, बैठक की जानकारी व उसके निर्णय मीडिया को देने से अफसरों को रोका

चयन बोर्ड का पारदर्शिता का ढिंढोरा लेकिन अहम निर्णयों पर गोपनीयता का पर्दा, बैठक की जानकारी व उसके निर्णय मीडिया को देने से अफसरों को रोका

सूचना दबाकर आखिर क्या छिपा रहा शिक्षा सेवा चयन बोर्ड

इलाहाबाद : उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में पारदर्शिता का ढिंढोरा तो खूब पीटा जा रहा है लेकिन, भर्ती के अहम निर्णयों पर गोपनीयता का पर्दा डाला जा रहा है। अफसरों को बैठक की जानकारी व उसका निर्णय देने तक से रोका गया है। ऐसे में गंभीर सवाल है कि आखिर चयन बोर्ड किस स्याह पक्ष को छिपाने के लिए यह सब कर रहा है?


चयन बोर्ड के अध्यक्ष बीरेश कुमार व अन्य सदस्यों ने कार्यभार ग्रहण करते समय कहा था कि बोर्ड के नियम-कानून समझने के बाद लंबित प्रकरण व अन्य नीतिगत मामलों में स्थिति स्पष्ट की जाएगी। तब से अब तक चयन बोर्ड की कई बैठकें हो चुकी हैं, कुछ साक्षात्कार भी हुए, फिर भी प्रक्रिया पटरी पर नहीं आ सकी है। हालत यह है कि पहली बैठक के निर्णयों पर अब तक अमल नहीं हो सका है। 2013 के प्रधानाचार्यो के साक्षात्कार की तारीख तक चयन बोर्ड तय नहीं कर पा रहा है।



16 मई की बैठक में जिलों से रिक्त पदों का ब्योरा मांगने का साफ्टवेयर 15 दिनों में तैयार करने का निर्णय हुआ। इस पर प्रतियोगियों ने कड़ी आपत्ति की। इसीलिए 23 मई को फिर बैठक बुलाकर 2016 की टीजीटी-पीजीटी की लिखित परीक्षा सितंबर में कराने का एकाएक एलान हुआ। चयन बोर्ड पहली बैठक से लेकर पिछली बैठक तक की सूचना मीडिया को ई-मेल पर भेजता रहा है। उसमें भी किसी अफसर का हस्ताक्षर नहीं होता था, शुक्रवार को भी चयन बोर्ड की बैठक हुई। अब उसमें हुए निर्णय न तो अध्यक्ष बता रहे हैं और न ही अन्य अफसर मुंह खोल रहे हैं।



नाम न छापने की शर्त पर वह कहते हैं कि उन्हें कुछ भी बताने से मना किया गया है। चयन बोर्ड अध्यक्ष बीरेश कुमार ने ‘दैनिक जागरण’ से कहा कि बैठक एजेंडे पर हुई है। सवाल यह है कि जनहित मामलों में बिना एजेंडे के भी क्या बैठकें होती हैं? एजेंडा क्या था, निर्णय क्या हुआ, सब पर मौन हैं।

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