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Wednesday, May 30, 2018

यूपी पीसीएस मेंस में शासन से हस्तक्षेप की मांग, आयोग पर अभ्यर्थियों के हित से खिलवाड़, मनमानी और परीक्षाओं में बेवजह विवाद पैदा करने का आरोप

इलाहाबाद : पीसीएस (मुख्य) परीक्षा 2017 के जून में घोषित कार्यक्रम से असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने शासन से हस्तक्षेप करने की मांग की है। उप्र लोकसेवा आयोग पर अभ्यर्थियों के हित से खिलवाड़, मनमानी और परीक्षाओं में बेवजह विवाद पैदा करने का आरोप लगाया है। बिहार और मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोगों की जून में ही परीक्षाएं होने तथा तीन जून को संघ लोकसेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा से तैयारी का शेड्यूल बिगड़ने पर अभ्यर्थियों ने कहा है कि शासन से कोई निर्णय नहीं होगा तो ग्रीष्मावकाश में इलाहाबाद हाईकोर्ट में बैठने वाली विशेष सत्र कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।




आयोग ने पीसीएस 2017 की मुख्य परीक्षा 18 जून से छह जुलाई तक घोषित की है। इनके बीच में ही बिहार लोकसेवा आयोग का साक्षात्कार, मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग की ओर से महाविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की परीक्षा होनी है। उप्र लोकसेवा आयोग, बिहार लोकसेवा आयोग और मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग से प्रस्तावित परीक्षा की तारीखें टकरा रही हैं। ऐसे में अभ्यर्थी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस परीक्षा को प्राथमिकता दें। यही नहीं, मुख्य परीक्षा में आमतौर पर रविवार को परीक्षा नहीं रखी जाती रही है लेकिन, इस बार रविवार को भी परीक्षा कराने का कार्यक्रम जारी हुआ है।




हालांकि उप्र लोकसेवा आयोग की अनियमितता से अभ्यर्थियों का अन्य आयोगों पर अधिक भरोसा है। लेकिन, आयोग की पीसीएस मुख्य परीक्षा महत्वपूर्ण होने के कारण इसकी कुर्बानी देना भी अभ्यर्थियों को ऊहापोह में डाल रहा है। शासन को भेजी शिकायत में अभ्यर्थियों ने कहा है कि आयोग ने वादाखिलाफी की है। पीसीएस मुख्य परीक्षा जुलाई में कराने का आश्वासन दिया था लेकिन, आनन फानन इसे जून में ही घोषित कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में ग्रीष्मावकाश शुरू होने के चलते अभ्यर्थी विशेष सत्र अदालत में याचिका दाखिल करने की तैयारी की है। नियमित रूप से प्रतियोगी परीक्षा देने वाले कई अभ्यर्थियों के अनुसार आयोग से पहले ही प्रतिनिधि मंडल ने मिलकर मांग की थी कि हंिदूी भाषी राज्यों की होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर ही पीसीएस मुख्य परीक्षा के कार्यक्रम जारी करें।

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