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Saturday, April 21, 2018

आयोग में मॉडरेशन के ‘खेल’ की गुत्थी सुलझाने में जुटी सीबीआई, यूपीपीएससी के अफसरों से दिन भर चली पूछताछ

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग ने चयनितों को मॉडरेशन प्रणाली के तहत किस तरह से अंक दिए हैं, यह गुत्थी सुलझाने में सीबीआइ की पूरी टीम जुटी है। संकेत हैं कि चयन की यह कड़ी सुलझते ही भर्तियों की बड़ी गड़बड़ी सामने आ सकती है। इसीलिए आयोग के अफसर व कर्मचारियों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जा रहा है। साथ ही संबंधित कई दस्तावेज भी मंगाए गए हैं। टीम लगातार दूसरे दिन इसी मामले को खंगालती रही।


आयोग की पांच साल की भर्तियों की जांच कर रही सीबीआइ को प्रतियोगियों व सरकारी गवाहों से यह सुराग मिले हैं कि विभिन्न परीक्षाओं में चयनितों का फेल-पास करने का बड़ा अस्त्र मॉडरेशन प्रणाली रही है। आमतौर पर इस प्रणाली के तहत दिए जाने वाले अंक हर अभ्यर्थी को समान रूप से मिलने का नियम है, लेकिन आयोग के इस नियम के जरिये चहेतों को लाभ देने की छानबीन हो रही है। आयोग के सेक्शन आफीसर, तीन अनुभागों के सचिव सहित करीब एक दर्जन अधिकारी व कर्मचारियों को सीबीआइ ने तलब किया है, जो जरूरी दस्तावेजों के साथ अपनी बातें रख रहे हैं। यही नहीं आयोग के चर्चित पूर्व अध्यक्ष के करीबी भी बुलाए गए हैं, उनमें से कुछ सेवानिवृत्त होने के बाद भी कैंप कार्यालय पहुंचे हैं।


मॉडरेटर की भूमिका भी खंगाली जा रही है। पहले दिन सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन खुद पूछताछ की कमान संभाले थे, शनिवार को वह दिल्ली गए हैं और उनकी टीम आयोग अफसरों से रूबरू हुई। उधर, आयोग की ओर से कहा गया है कि सीबीआइ चयन प्रक्रिया को जानने के लिए अफसर व कर्मचारियों से अभिलेखों के साथ बातचीत कर रही है। यह इंट्रोगेशन नहीं है।


चयनित छह अफसरों से पूछताछ : सीबीआइ टीम ने पीसीएस 2015 में चयनित छह अफसरों से कैंप कार्यालय पर पूछताछ की है। यह प्रक्रिया शुक्रवार को रुक गई थी, लेकिन शनिवार को आए अफसरों से लंबा इंट्रोगेशन चला। उनसे वही सवाल पूछे गए कि चयन होने के बाद आयोग के किन अफसरों को थैंक्स कहा, उन्हें कैसे और कब से जानते हैं। इस दौरान कई चयनितों के चेहरों की रंगत बदलती रही। कुछ की सवालों का सीधा जवाब देने में जुबान लड़खड़ा गई। सूत्रों की मानें तो सभी 25 चयनितों से पूछताछ के बाद अन्य अभ्यर्थियों को भी तलब किया जा सकता है।

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