शिकायतों का अंबार, फिर भी सप्ताह भर में भर्ती खत्म करने का फरमान, आंगनबाड़ी भर्ती में गड़बड़ी की शिकायतों के बीच प्रक्रिया जल्द पूरी करने की कवायद पर उठ रहे सवाल
आईसीडीएस निदेशालय ने सभी डीपीओ को भेजा भेजा संदेश, संदेश, जल्दबाजी जल्दबाजी पर उठने लगे सवाल
25 फरवरी 2025
लखनऊ। सुर्खियों में आने के बाद अब अफसर आंगनबाड़ी भर्ती में गड़बड़ियों की शिकायतों का निस्तारण किए बिना ही भर्ती प्रक्रिया शुरू करने में जुट गए हैं। आईसीडीएस निदेशालय के स्तर से सोमवार को सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) को एक सप्ताह में पूरा करने का फरमान जारी कर दिया गया है। इसके लिए व्हाट्सएप के जरिये सभी डीपीओ को मैसेज भेजा गया है। ऐसे में सवाल यह है कि पिछले चार वर्षों से चल रही भर्ती के दौरान तमाम जिलों के डीएम द्वारा भर्ती के संबंध में जारी शासनादेश के भ्रामक बिंदुओं का निस्तारण किए बिना भर्ती की प्रक्रिया पूरी कैसे होगी।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती में भ्रष्टाचार पर मंत्री ने खुद खोली थी पोल। इसके बाद बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में हड़कंप मच गया। सूत्रों का कहना है इस खबर का संज्ञान लेते हुए सीएम कार्यालय ने विभागीय अधिकारियों को बुलाकर पूछताछ भी की थी। इधर, सोमवार को शासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग करके भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा की। पर, गौर करने की बात यह है कि सीएमओ दफ्तर को डीएम के स्तर से मिले पत्रों और उसमें जताई गई।
विसंगतियों को दूर किए बिना ही हो रही भर्ती
2021 में शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया के लिए शासन द्वारा जारी गाइडलाइन में पात्रता के मानकों से संबंधित कई बिंदुओं के भ्रामक होने की बात सामने आई थी। लिहाजा कई जिलों के डीएम और डीपीओ ने समय-समय पर शासन व निदेशालय को पत्र लिखकर समाधान पूछते रहे हैं। कई मानकों में सुधार भी किया गया, लेकिन अभी भी आय प्रमाणपत्र समेत कई मानकों को लेकर भ्रम की स्थिति है।
आय प्रमाणपत्र बना कमाई का जरिया
मौजूदा शासनादेश में आय प्रमाणपत्र भी भर्ती करने वाले के लिए कमाई का जरिया बन गया है। दरअसल, तहसीलदार द्वारा निर्गत आय प्रमाणपत्र को तीन वर्ष तक के लिए वैध मानने का प्रावधान है। जबकि आंगनबाड़ी भर्ती के लिए जारी मौजूदा शासनादेश में इसे छह महीने तक ही वैध मानने का प्रावधान किया गया है। तमाम जिलों में अभ्यर्थी यह आरोप लगा रहे हैं कि आय प्रमाणपत्र की वैधता के आधार पर पात्र होने के बाद भी तमाम अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया जा रहा है। विधायक मनोज पांडेय ने इस मुद्दे को दो दिन पहले सदन में भी उठा चुके हैं। उनका कहना है कि आय प्रमाणपत्र जारी करने तथा उसकी वैधता सीमा निर्धारित करने का अधिकार राजस्व विभाग को है, अन्य को नहीं।
कई बार जारी हुए शासनादेश, सभी में रहीं खामियां
■ वर्ष 2021 में पहली बार आमंत्रित आवेदन में ईडब्ल्यूएस को आरक्षण न देने की वजह से अटक गई थी भर्ती प्रक्रिया। हालांकि संशोधित शासनादेश जारी कर इस विसंगति को ठीक किया गया, लेकिन इसकी वजह से भी कई महीने तक भर्ती अटकी रही।
■ 21 मार्च 2023 को जारी संशोधित शासनादेश के आधार पर पोर्टल बनवाकर आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए, लेकिन शुरू से ही इस शासनादेश एवं भर्ती पोर्टल में ढेर सारी कमियां रहीं। कई जिलों के डीएम, सीडीओ और डीपीओ ने समय-समय पर शासन और निदेशालय को पत्र भी लिखा है।
■ बीपीएल 2021 के शासनादेश में परिभाषित था, लेकिन 2023 में जारी संशोधित शासनादेश में बीपीएल सीमा का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
■ आपत्तियों की जानकारी नहीं दी गई है। जबकि बीते पांच वर्षों के दौरान एक दर्जन से अधिक जिलों से भर्तियों में धांधली की शिकायतें होती रही हैं। कई जिलों के अभ्यर्थी तो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं।
आंगनबाड़ी भर्ती में गड़बड़ी पर मंत्री के पत्र से हड़कंप, जल्द हो सकती है दोषियों पर कार्रवाई
■ विभागीय मंत्री ने निदेशक आईसीडीएस को पत्र लिखा
24 फरवरी 2025
लखनऊ । बाल विकास सेवा एवं पुष्टहार विभाग एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर चर्चाओं में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पंजीरी सिंडीकेट खत्म किए जाने के बाद विभाग अब अपने अधिकारियों की कारस्तानी को लेकर चर्चाओं में है। विभाग की राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने निदेशक आईसीडीएस को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार को उजागार किया है। इस पत्र को लेकर हड़कंप मचा हुआ है, माना जा रहा है कि जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई हो सकती है।
उन्होंने पत्र लिखकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्तियों में भ्रष्टाचार की बात कही है। विभागीय राज्य मंत्री के इस पत्र को उच्च स्तर पर गंभीरता से लिया गया है। बाल विकास सेवा एवं पुष्टहार विभाग अपने कारनामों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहा है। चाहे भर्तियां हो या पात्रों को समय से लाभदेना इसकी शिकायतें मिलती रहती हैं। अब मंत्री द्वारा पत्र लिखा जाना चर्चा में है। ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडेय भी नियम-51 के तहत विधानसभा में भर्ती में गड़बड़ी का मुद्दा उठाकर इस पर चर्चा की मांग कर चुके हैं।
आंगनबाड़ी भर्ती में भ्रष्टाचार को लेकर विभागीय मंत्री ने खोली पोल, तमाम जिलों में पैसे मांगने का आरोप, निदेशक आईसीडीएस को पत्र लिखकर किया भर्ती रद्द करने की मांग
23 फरवरी 2025
लखनऊ। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में हो रहे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर अब विभाग की मंत्री ने ही मोर्चा खोल दिया है। यही नहीं, मंत्री ने इस संबंध में निदेशक आईसीडीएस को पत्र लिखकर भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की शिकायत की है। साथ ही मंत्री ने जिले स्तर पर हो रही भर्ती को रद्द करके इसे प्रदेश स्तर से कराने की मांग भी किया है।
दरअसल प्रदेश के सभी जिलों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 52 हजार से अधिक पद खाली हैं। इसपर पिछले साल से ही भर्ती की प्रक्रिया शुरु की गई है। लेकिन तमाम जिलों में भर्ती में अनियमितता की शिकायतों और हाईकोर्ट में याचिका की वजह से भर्ती की प्रक्रिया अब तक पूरा नहीं हो पाई है। लिहाजा अभी भी जिलों में भर्ती की काम चल रहा है। इसके लिए शासन ने जिला स्तर पर जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) को जिम्मेदारी दे रखी है। हालांकि इसके लिए गठित कमेटी का अध्यक्ष संबंधित जिले के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को नामित किया गया है, लेकिन डीपीओ की बड़ी भूमिका है।
खास बात यह है कि जब से यह भर्ती शुरू हुई तभी से विवादों में घिरी है। इस वजह से कई बार मानकों में बदलाव भी किए गए हैं। इसके बावजूद भर्ती में सेटिंग-गेटिंग का खेल अक्सर सामने आ रहा है। जिला स्तर के अधिकारियों पर मानकों के विपरीत पसंद और नापसंद के आधार पर चयन करने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। ऐसी तमाम शिकायतें शासन और आईसीडीएस निदेशालय भी पहुंच रही हैं, लेकिन निदेशालय स्तर पर भी उसे दबा दिया जा रहा है।
ताजा मामला महिला कल्याण एवं बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला का निदेशक आईसीडीएस को लिखे गए उस से पत्र से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने डीपीओ और उनके कार्याल के कर्मचारियों पर भर्ती में अनियमितता बरतने का खुला आरोप लगाया है। मंत्री ने अपने पत्र में अपने दौरे का हवाला देते हुए लिखा है कि वह जिस भी जिले में दौरे पर जा रही हैं, वहां भर्ती में भ्रष्टाचार की ढेर शिकायतें मिल रही हैं। आवेदन लेने से लेकर उसकी छंटनी तक का काम डीपीओ की देखरेख में हो रहा है।
मंत्री ने लिखा है कि इस प्रक्रिया गोपनीयता का पालन तक नहीं किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया है कि डीपीओ दफ्तर के बाबू आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से सीधे संपर्क करके उनसे पैसे की मांग कर रहे हैं। दो-दो लाख रुपये की मांग की जा रही है। 21 फरवरी को लिखे गए इस पत्र के माध्यम से मंत्री मौजूदा भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए जिला के बजाए प्रदेश स्तर से भर्ती कराने की मांग की है।
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