लोकसेवा आयोग (यूपी पीएससी) की अपर निजी सचिव (उप्र सचिवालय) यानि एपीएस चयन 2010 की सीबीआइ जांच के लिए शासन भी सक्रिय हो गया है। मुख्य सचिव के संज्ञान में यह प्रकरण आने पर उन्होंने सचिव सचिवालय प्रशासन से आख्या मांगी है। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इस संबंध में पहले ही प्रमुख सचिव गृह से वार्ता कर चुके हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही इस भर्ती की जांच का औपचारिक आदेश जारी होगा।
यूपी पीएससी की एपीएस चयन को लेकर शुरू से विवाद रहा है। अफसरों ने इस छोटी परीक्षा में अपनों को चयनित कराने का हर जतन किया था, इसीलिए वह नहीं चाहते थे कि इसकी सीबीआइ जांच हो।
सूत्र बताते हैं कि शासन में बैठे अफसरों को इसका अंदाजा हो गया था कि योगी सरकार यूपी पीएससी के पांच वर्षो की जांच कराने जा रही है, तभी इस परीक्षा का रिजल्ट उस समय सीमा के बाद जारी हुआ। सीबीआइ ने जब प्रकरण खंगालना शुरू किया तो पीसीएस 2015 के अलावा इस परीक्षा की सबसे अधिक शिकायतें मिली। यही नहीं सीबीआइ ने इस भर्ती के संबंध में काफी तथ्य जुटा लिए हैं, सिर्फ वह इस भर्ती को जांच के दायरे में नियमानुसार लाने के आदेश का इंतजार कर रही है। उसके बाद प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी।
माना जा रहा है कि नई एफआइआर भी दर्ज हो सकती है। इस चयन की सीबीआइ जांच की पैरवी कर रहे एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्य सचिव को सीबीआइ व केंद्र सरकार का पत्र सौंपा है। उनकी मानें तो मुख्य सचिव ने इसकी सचिवालय प्रशासन से आख्या मांगी है। सिंह जल्द ही मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि इस भर्ती की सीबीआइ जांच हर हाल में होगी। सरकार नोटीफिकेशन जारी करेगी।’
>मुख्यमंत्री से भी जल्द मिलेंगे एमएलसी देवेंद्र सिंह
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