इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के कार्यकाल में जन सूचना अधिकार अधिनियम यानि आरटीआइ 2005 को तवज्जो नहीं दी गई। इस अधिनियम के तहत विभिन्न सूचनाएं मांगने वालों के पत्र लिए जाने से मना कर दिया गया था। काउंटर पर बैठे कर्मचारियों का साफ कहना होता था कि जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांग पत्र जमा नहीं होंगे, इसका निर्देश अंदर से है।
मंगलवार को सीबीआइ के कैंप कार्यालय पहुंचे पीसीएस 2014 परीक्षा के एक अभ्यर्थी की शिकायत ने आयोग की यह मनमानी उजागर की। अभ्यर्थी की शिकायत थी कि पीसीएस 2014 परीक्षा में परिणाम तो घोषित कर दिया गया जिसे वेबसाइट पर अनुक्रमांक के आधार पर देखा जा सकता था लेकिन, कटऑफ नहीं बताया गया था। अभ्यर्थियों के प्राप्तांक भी परिणाम निकलने के महीनों बाद घोषित किए गए। इस बीच उसने अपना कटऑफ जानना चाहा और जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आयोग से सूचना मांगी तो काउंटर पर बैठे कर्मचारियों ने मांग पत्र लेने से मना कर दिया।
अभ्यर्थी ने अपनी शिकायत में यह तक लिखा है कि उस दौरान आयोग के काउंटर पर कौन-कौन कर्मचारी ड्यूटी पर रहते थे और उनकी भाषा व व्यवहार कैसा था। शिकायती पत्र में अभ्यर्थी ने पोस्टल ऑडर और मांग पत्र की प्रति संलग्न की। अभ्यर्थी की शिकायत को सीबीआइ ने दर्ज कर लिया है। हालांकि इसकी जांच अलग से होगी लेकिन, सीबीआइ अफसरों के अनुसार शिकायत गंभीर है। भर्तियों की जांच में यह भी पता लगाया जाएगा कि जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांग पत्र न लेने के पीछे क्या वजह रही।
■ शहर में आ चुके सीबीआइ के कई अफसर
उप्र लोकसेवा आयोग पर सीबीआइ का घेरा इसी सप्ताह कस सकता है। सीबीआइ के इलाहाबाद स्थित कैंप कार्यालय में सरगर्मी तेजी से बढ़ गई है। सूत्रों की मानें तो सीबीआइ के कई बड़े अफसर इलाहाबाद आ चुके हैं और एसपी राजीव रंजन के आने का इंतजार हो रहा है। इसकी भनक लगने पर शिकायत कर्ता भी कैंप कार्यालय पहुंचने लगे हैं।
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