अपर निजी सचिव भर्ती-13 में 1047 सफल
सचिवालय में 176 पदों पर होनी है भर्ती, दो साल से रुका था परिणाम1
यूपीपीएससी
आयोगों की भर्ती प्रक्रिया में होंगे कई बदलाव
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : अपर निजी सचिव यानि एपीएस (उप्र सचिवालय) भर्ती-2013 की सामान्य ज्ञान/हंिदूी, हंिदूी आशुलेखन और हंिदूी टंकण परीक्षा का परिणाम उप्र लोकसेवा आयोग () ने घोषित कर दिया है। ने इसमें न्यूनतम कटऑफ अर्हता अंकों के अनुसार 1047 अभ्यर्थियों को कंप्यूटर ज्ञान की परीक्षा के लिए औपबंधिक रूप से सफल घोषित किया है। कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा की तारीखें बाद में निर्धारित करेगा।
सचिवालय में 176 पदों पर एपीएस भर्ती के लिए 13 दिसंबर 2013 को विज्ञापन जारी कर ने आवेदन मांगे थे। इसमें सामान्य ज्ञान / सामान्य हंिदूी की परीक्षा 11 अक्टूबर 2015 को, हंिदूी आशुलेखन और हंिदूी टंकण की परीक्षा 16 फरवरी 2016 से 25 फरवरी 2016 तक आयोजित की गई थी। इसके बाद से ही अभ्यर्थियों को परिणाम का इंतजार था लेकिन, की लेटलतीफी के चलते उन्हें बार-बार निराशा ही हाथ लग रही थी। बुधवार को ने आखिर इसका परिणाम जारी कर कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा के लिए 1047 अभ्यर्थियों को औपबंधिक रूप से सफल घोषित कर दिया। अभ्यर्थियों के अनुक्रमांक वेबसाइट 222.ह्वश्चश्चह्यष्.ह्वश्च.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ पर अपलोड कर दिए गए हैं।
सचिव जगदीश ने कहा है कि सफल अभ्यर्थियों को विज्ञापित अनिवार्य अर्हता/कंप्यूटर संबंधी अर्हता धारित किए जाने की स्थिति में ही कंप्यूटर ज्ञान की परीक्षा में प्रवेश दिया जा सकेगा। अभ्यर्थियों से उनकी ओर से ऑनलाइन आवेदन में किए गए दावे के अनुसार सभी शैक्षणिक अभिलेख प्रस्तुत करने के संबंध में अलग से जानकारी दी जाएगी। सचिव ने कहा है कि अभ्यर्थियों के प्राप्तांक अंतिम चयन परिणाम के बाद जारी किए जाएंगे।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : भर्ती परीक्षाओं का पेपर आउट होने की हालिया घटनाओं को देखते हुए आयोगों की कार्यप्रणाली में आगे चलकर कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। परीक्षा प्रक्रिया को सेंधमारी से बचाने के लिए आयोगों से सुधार के लिए सुझाव मांगे गए हैं। आठ सितंबर को मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में सभी अध्यक्ष इसे प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद शासन स्तर पर इस पर विचार किया जाएगा। प्रदेश में पुलिस भर्ती और नलकूप चालक परीक्षा का पेपर आउट होने की घटनाओं ने राज्य सरकार की बड़ी किरकिरी हुई है। साथ ही प्रतियोगियों में भी अविश्वास बढ़ा है। इसे देखते हुए ही परीक्षाओं की प्रक्रिया में सुधार की ओर कदम बढ़ाए गए हैं। सबसे अधिक चुनौती उन परीक्षाओं की है जिनमें सिर्फ लिखित परीक्षाएं होनी हैं।
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