इलाहाबाद : हर साल हजारों नौकरियां बांटने वाली अहम परीक्षा संस्थाएं इन दिनों कटघरे में हैं। वजह इम्तिहान से लेकर उनके परीक्षा परिणाम पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि ये संस्थाएं तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं लेकिन, परीक्षा में मानवीय भूल के बाद एक प्रकरण सामने से उनकी साख गिर रही है। प्रतियोगी निराश हैं, उन्हें लग रहा है जब परीक्षा ही सही से नहीं हो रही तो परिणाम ठीक आने की उम्मीद कैसे करें।
प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी होने की इन दिनों श्रृंखला बन गई है। 19 जून को उप्र लोकसेवा आयोग (यूपी पीएससी) की पीसीएस 2017 की मुख्य परीक्षा में गलत प्रश्नपत्र बांटा गया। यूपी पीएससी के इतिहास में ऐसी घटना पहली बार हुई, क्योंकि जिन पर्यवेक्षक व स्टेटिक मजिस्ट्रेटों को प्रश्नपत्र खोलने व बांटने का जिम्मा दिया गया, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई। यूपी पीएससी भले ही प्रिटिंग प्रेस को इसका जिम्मेदार ठहरा दे लेकिन, इस चूक से संस्थान की साख को नए सिरे से बट्टा लगा है। संस्थान को दोबारा परीक्षा करानी पड़ी है।
आठ जुलाई को सीबीएसई की नेट-जेआरएफ का इम्तिहान हुआ। इलाहाबाद के एक केंद्र पर प्रश्नपत्र बांटने में इतना विलंब कर हुआ कि प्रतियोगियों ने मान लिया कि पेपर आउट हुआ है इसीलिए देरी हो रही है। सीबीएसई के अफसर मौके पर पहुंचे लेकिन, प्रतियोगियों को सही तथ्य से वाकिफ कराने में नाकाम रहे। अब इसकी भी पुनर्परीक्षा होगी। इसके पहले कर्मचारी चयन आयोग ने सीजीएल 2017 टियर टू की 17 से 22 फरवरी तक परीक्षा कराई।
इसमें पेपर आउट होने का गंभीर आरोप लगा। देशभर में प्रदर्शन हुआ और एसएससी को दोबारा इम्तिहान कराना पड़ा। हालांकि आठ जुलाई को एसएससी सीजीएल 2017 टियर थ्री की शांतिपूर्ण परीक्षा कराने में सफल रहा है। 1ये हालात उस समय बन रहे हैं जब यूपीपीएससी की पांच वर्ष की भर्तियों की सीबीआइ जांच चल रही है और एसएससी ने भी सीजीएल की सीबीआइ जांच कराने का एलान किया। अहम परीक्षा संस्थान नसीहत लेने को तैयार नहीं है।
इधर तकनीक का इस्तेमाल बढ़ने के बाद भी केंद्रों तक अत्याधुनिक उपकरण नहीं पहुंच पा रहे हैं। वहीं, कई ऐसी परीक्षाएं भी हैं जिनकी उत्तरकुंजी को लेकर निशाना साधा गया है।
0 comments:
Post a Comment