पीसीएस पर एक दिन में निर्णय, आरओ एआरओ के लिए तीन हफ्ते से इंतजार
04 दिसंबर 2024
प्रयागराज। पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा एक दिन में आयोजित की जाएगी। यह निर्णय उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने एक दिन में ले लिया। लेकिन, आरओ/एआरओ परीक्षा को लेकर कमेटी गठित करने के 20 दिन बाद भी फैसला नहीं हो सका है।
अभ्यर्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। पेपर लीक के कारण यह परीक्षा पहले निरस्त की गई और इसके बाद नॉर्मलाइजेशन को लेकर उठे विवाद के कारण स्थगित कर दी गई।
पीसीएस व आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा एक से अधिक दिनों में कराने और एक समान मूल्यांकन के लिए नॉर्मलाइजेशन लागू किए जाने के विरोध में अभ्यर्थियों ने 11 से 15 नवंबर तक आयोग के गेट नंबर-2 के बाहर आंदोलन किया था। पीसीएस परीक्षा के मामले में आयोग ने बैकफुट पर आते हुए एक ही दिन में निर्णय ले लिया था कि यह परीक्षा पूर्व की भांति एक दिन में कराई जाएगी। जबकि, आरओ/एआरओ के मामले में आयोग ने कमेटी गठित कर दी थी।
15 नवंबर को कमेटी गठित करने के साथ ही आयोग ने 22 व 23 दिसंबर को प्रस्तावित आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 को स्थगित कर दिया था। आयोग के सूत्रों का कहना है कि कमेटी की एक बैठक हो चुकी है। कमेटी की ओर से रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद आयोग विचार करेगा कि परीक्षा एक या एक से अधिक दिनों में कराई जाए।
पीसीएस के बाद आरओ/एआरओ परीक्षा को लेकर फिर बढ़ेगा दबाव, आरओ/एआरओ परीक्षा मामले में कमेटी जल्द सौंपेगी आयोग को अपनी रिपोर्ट
अभ्यर्थियों के साथ यूपीपीएससी भी पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी में जुटा
25 नवम्बर 2024
प्रयागराज। प्रतियोगी छात्र 22 दिसंबर को प्रस्तावित पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा की तैयारियों में जुट गए हैं। परीक्षा के बाद उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) पर आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा पर निर्णय लेने का दबाव बढ़ेगा। आयोग ने मामले में कमेटी का गठन किया है। रिपोर्ट के आधार पर आयोग को निर्णय लेना है।
जून-2024 को जारी गाइडलाइन में केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया को सख्त किए जाने से उपजे विवाद ने आयोग को भी चौतरफा घेर लिया है। आयोग के सामने भी इस समस्या से बाहर आने की चुनौती है। गाइडलाइन के अनुसार किसी परीक्षा के लिए अगर पांच लाख या इससे अधिक अभ्यर्थी आवेदन करते हैं तो परीक्षा कई पालियों में आयोजित की जाएगी।
अगर आयोग शासन की गाइडलाइन के अनुरूप परीक्षा केंद्रों निर्धारण करता है तो भी उसे प्रदेश भर में केवल 978 केंद्र ही मिल पारहे हैं, जिनमें 435074 अभ्यर्थियों की परीक्षा ही कराई जा सकती है। पीसीएस परीक्षा के केंद्र निर्धारण में यह जानकारी सामने आई थी।
ऐसे में अगर आयोग की किसी परीक्षा के लिए साढ़े चार से पांच लाख तक अभ्यर्थी आवेदन करते हैं तो भी परीक्षा एक पाली में करा पाना आयोग के लिए मुश्किल होगा। पीसीएस परीक्षा को तो विशिष्ट श्रेणी में रखते हुए शासन ने केंद्र निर्धारण के नियम शिथिल कर दिए लेकिन आयोग की अन्य परीक्षाएं विशिष्ट श्रेणी में शामिल नहीं हैं। आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा के लिए 1076004 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं।
शासन की गाइडलाइन से रास्ता निकालते हुए परीक्षा एक दिन में कैसे कराई जाए और नॉर्मलाइजेशन लागू न करना पड़े, इस पर मंथन के लिए आयोग ने एक कमेटी का गठन किया है।
इस बीच अभ्यर्थियों के साथ आयोग भी 22 दिसंबर को प्रस्तावित पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा की तैयारियों में जुट गया है। पीसीएस परीक्षा एक दिन में कराने के लिए परीक्षा केंद्रों की लिस्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
परीक्षा के बाद आयोग पर आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा लेने का दबाव बढ़ेगा। सूत्रों का कहना है कि कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप देगी। आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा महाकुंभ के बाद कराए जाने की तैयारी है।
प्रदेश में हैं 978 केंद्र, एक दिन में कैसे होगी RO/ARO परीक्षा, केंद्र निर्धारण में संशोधन नहीं हुआ तो फंसेगा पेच
छात्रों को अब समिति की रिपोर्ट पर आयोग के निर्णय का इंतजार
18 नवम्बर 2024
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को प्रदेश के सभी 75 जनपदों में एक दिन की पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा कराने के लिए अधिकतम 978 केंद्र ही मिल सके।
समीक्षा (आरओ)/सहायक अधिकारी समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 के लिए इससे ढाई गुना अधिक केंद्रों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में सव सवाल है कि आयोग एक दिन में यह परीक्षा कैसे करा सकेगा।
आयोग को पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा के 576154 अभ्यर्थियों के लिए प्रदेश में 1748 केंद्रों की जरूरत थी। लेकिन, सख्त नीति के कारण आयोग को सभी 75 जिलों में केवल 978 केंद्र ही मिले सके।
आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में इससे ढाई गुना अधिक केंद्रों की जरूरत पड़ेगी। 11 फरवरी को आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 2387 केंद्रों में आयोजित की गई थी, जो पेपर लीक के कारण निरस्त कर दी गई थी।
अब इसी परीक्षा को लेकर पेच फ़सा है। यदि आयोग जून-2024 को जारी शासनादेश में उल्लिखित नियमों के तहत केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया पूरी करता है तो आयोग को प्रदेश के सभी 75 जिलों में 978 केंद्र ही मिल सकेंगे। इनमें अधिकतम 435074 अभ्यर्थियों की परीक्षा कराई जा सकती है। जबकि, आरओ/एआरओ परीक्षा के लिए 1076004 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं। ऐसे में केंद्र निर्धारण के नियमों में संशोधन के बिना आरओ/एआरओ परीक्ष एक दिन में करा पाना मुश्किल होगा।
आयोग ने एक समिति का भी गठन किया है, जो इस समस्या के निदान के लिए रास्ते तलाशेगी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही आयोग तय करेगा कि आरओ/एआरओ परीक्षा कैसे करानी है। अभ्यर्थियों को अब आयोग के निर्णय का इंतजार है।
अभ्यर्थियों ने गिनाए दो दिन की परीक्षा के नुकसान
• परीक्षा भाग्य भरोसे हो जाएगी। अधिक सवाल हल करने पर भी बाहर होने की उतनी ही आशंका बनी रहेगी, जितनी कम प्रश्न करके क्वॉलिफाई होने की।
• आयोग का इतिहास रहा है कि प्रत्येक प्रश्न पत्र में 8-10 गलत / विवादित होते हैं। ऐसी स्थिति में नॉर्मलाइजेशन से 'करेला ऊपर से नीम चढ़ा' को स्थिति बन जाएगी।
• दो दिन व तीन शिफ्ट में परीक्षा कराने पर तीनों शिफ्ट में पेपर आउट होने का खतरा रहेगा।
• परीक्षा का खर्च एवं संसाधन कई गुना बढ़ जाएगा और राजकीय कोष पर व्ययभार अधिक होगा।
• आयोग के कर्मचारी/अधिकारी कई दिनों तक परीक्षा कराने में ही दौड़-भाग करते रहेंगे। सर्वाधिक बोझ प्रशासन पर पड़ेगा।
• जिन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाए जाएगा, परीक्षा के कारण इंगेज रखने से यहां लाखों बच्बों की पढ़ाई प्रभावित होगी।
• प्रिंटिंग प्रेस से पेपर आउट होने का खतरा बढ़ेगा ही।
एक दिन की परीक्षा के फायदे
• प्रशासनिक तंत्र अपनी पूरी ऊर्जा एवं समन्वय से नकलविहीन एवं शुचिता पूर्ण परीक्षा करा सकेगा।
• सरकार, आयोग और प्रशासन का लाखों रुपए का सरकारी खर्च बचेगा।
• 75 जिलों में आयोग को केंद्र उपलब्ध हो जाएंगे और अन्य परीक्षाओं में भी इसका फायदा मिलेगा
अभ्यर्थियों के सुझाव
• सभी यूनिवर्सिटी/महाविद्यालय / इंजीनियरिंग कॉलेज (राजकीय एवं प्राइवेट) पॉलिटेक्निक, आईटीआई, मेडिकल कॉलेज आदि परीक्षा केंद्र बनाए जाएं।
• केंद्र बनाए जाने वाले निजी शिक्षण संस्थानों में परीक्षा के लिए सरकारी कर्मचारी लगाए जाएं।
• जब ट्रिपल-पी मोड पर निजी क्षेत्र को शामिल कर जहाज/सैटेलाइट / रेल आदि बड़े एवं संवेदनशील क्षेत्रों में सहयोग लिया जा रहा है, तब ऐसी स्थिति में प्राइवेट स्कूलों में परीक्षा कराने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
• दुनिया के 190 देशों की आबादी से अधिक जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश, जिसकी आबादी 25 करोड़ हो और वहां एक फीसदी आबादी यानी 25 लाख, परीक्षार्थी एक दिन में परीक्षा ना दे पाए तो यह प्रशासनिक मैनेजमेंट की कमी ही होगी।
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