दुनियाभर में वायु प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा बन गया है। जहां बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए दुनियाभर के देश बैठक और चर्चाएं कर रहे हैं, वहीं अपने देश में भी बढ़ते हुए वायु प्रदूषण पर हर जगह चर्चाएं हो रही हैं।
ग्रीन सेक्टर, खासकर कर वायु प्रदूषण से संबंधित क्षेत्र में भरपूर मौके हैं। प्रदूषण को लेकर दुनियाभर में बढ़ती चिंताओं के बीच ऐसे पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो पर्यावरण को सुधारने के लिए प्लान तैयार कर सकें। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उम्मीदवारों को गणित, फिजिकल साइंस, एन्वायर्नमेंटल साइंस या लाइफ साइंस जैसे विषयों की पढ़ाई करनी चाहिए। वायु प्रदूषण के क्षेत्र में सबसे ज्यादा नौकरियां केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों में मिलेंगी। इसके अलावा कई सारी औद्योगिक इकाइयां आजकल अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए भी इन पेशेवरों की नियुक्ति करती हैं। इन पेशेवरों का काम पर्यावरण को हो रहे नुकसान को कम करने के लिए उपाय सुझाना और पर्यावरण के संरक्षण के प्लान को बढ़ावा देना होता है। ऐसे में जरूरी है कि उम्मीदवार पर्यावरण के हर मुद्दे की जानकारी रखें।
◆ ये कोर्स कर सकते हैं
★ बीएससी/ बीई/ बीटेक- एन्वायर्नमेंटल साइंस - इन पाठ्यक्रमों की अवधि 3 वर्ष है।
★ बीई/ बीटेक- एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग - इन पाठ्यक्रमों की अवधि 4 वर्ष है।
★ एमएससी/ एमई/ एमटेक- एन्वायर्नमेंटल साइंस- इन पाठ्यक्रमों की अवधि 2 वर्ष है।
★ एमई/ एमटेक- एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग- इन पाठ्यक्रमों की अवधि 2 वर्ष है।
★ एमफिल- एन्वायर्नमेंटल साइंस - इस पाठ्यक्रम की अवधि 2 वर्ष है।
★ पीएचडी- एन्वायर्नमेंटल साइंस - इस पाठ्यक्रम की अवधि 3-5 वर्ष है।
★ डिप्लोमा इन एन्वायर्नमेंटल प्रोटेक्शन - इस पाठ्यक्रम की अवधि 6 माह है।
★ पीजी डिप्लोमा इन एन्वायर्नमेंटल साइंस- इस पाठ्यक्रम की अवधि 6 माह है।
★ पीजी डिप्लोमा इन एन्वायर्नमेंटल पॉल्यूशन कंट्रोल टेक्नोलॉजी - इस पाठ्यक्रम की अवधि *6 माह है।
★ सर्टिफिकेट इन एन्वायर्नमेंटल स्टडीज - इस पाठ्यक्रम की अवधि 1 से 6 माह है।
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