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Thursday, June 14, 2018

गुप्त सेवा के नाम पर खर्च कर दिए 28.76 करोड़, सीबीआई जांच में घिरे यूपीपीएससी ने पिछले 6 वर्षों में आवंटित बजट की दी जानकारी

8:43:00 PM

गुप्त सेवा के नाम पर खर्च कर दिए 28.76 करोड़, सीबीआई जांच में घिरे यूपीपीएससी ने पिछले 6 वर्षों में आवंटित बजट की दी जानकारी


 इलाहाबाद : इसे विडंबना कहेंगे या जानबूझ कर छवि को खराब करने की मंशा, जिसमें उप्र लोकसेवा आयोग का साल दर साल बजट तो करोड़ों रुपये बढ़ा लेकिन, कार्यशैली में सुधार होने की बजाए गिरावट ही आई। परीक्षाओं और उसके परिणाम में लेटलतीफी, विशेषज्ञों के चयन में गलतियां, अभ्यर्थियों के आक्रोश और कोर्ट कचहरी तक की दौड़ ही आयोग की पहचान बन चुकी है। छह साल में आयोग को 314 करोड़ 18 लाख रुपये बजट मिला जिसमें अधिकांश विभिन्न मदों में खर्च भी हुआ जबकि, छवि पर जमती धूल नहीं हट सकी। 





जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी में आयोग ने जो जवाब दिए हैं वह चौंकाने वाले हैं। आयोग ने जवाब में बताया है कि 2012-13 में उसे 30 करोड़ 93 लाख रुपये बजट आवंटित हुआ। यह पूरी राशि विभिन्न मदों में व्यय हुई। 2013-14 में 45 करोड़ 40 लाख रुपये बजट मिला जिसमें 45 करोड़ 12 लाख रुपये धनराशि खर्च हुई। 2014-15 में 54 करोड़ चार लाख रुपये बजट आवंटित हुआ जिसमें 53 करोड़ 41 लाख रुपये राशि व्यय हुई। 2015-16 में 57 करोड़ 47 लाख रुपये आवंटित बजट से 54 करोड़ 30 लाख रुपये व्यय हुए। 2016-17 में 62 करोड़ 77 लाख रुपये आवंटित बजट से 48 करोड़ 14 लाख रुपये व्यय हुए तथा 2017-18 में आवंटित 63 करोड़ 57 लाख रुपये में 57 करोड़ 13 लाख रुपये विभिन्न मदों में खर्च किए गए। यह सूचना आयोग ने 31 मई 2018 को दी है। 





आकड़े बताते हैं कि उप्र लोकसेवा आयोग पर होने वाले खर्च को सरकार ने साल दर साल करोड़ों रुपये बढ़ाया। जबकि आयोग की कार्यशैली और प्रदेश की प्रतिष्ठित परीक्षाओं पर उससे पड़ने वाला असर जगजाहिर है। 





आयोग से परीक्षाओं के कार्यक्रम और परिणाम में लेटलतीफी, प्रश्न व उत्तरों में लगातार हो रही गलतियां, आयोग के खिलाफ अभ्यर्थियों में बढ़ रहा आक्रोश, कोर्ट में आयोग के खिलाफ बढ़ रहे मुकदमे इसकी गवाही भी दे रहे हैं कि प्रदेश में प्रशासनिक अफसरों का चयन करने वाली परीक्षा संस्था सरकार की मंशा पर किस तरह से पलीता लगा रही है।



■ उप्र लोकसेवा आयोग का 2012 से अब तक लगातार सालाना बजट बढ़ा

■ परीक्षाओं में लेटलतीफी, परिणाम में गड़बड़ी, अभ्यर्थियों में आक्रोश बनी पहचान



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