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Saturday, March 24, 2018

भर्तियों की जांच में तेजी दिखा ठिठकी सीबीआई, यूपीपीएससी से हुई भर्तियों की जांच दो माह से चल रही और प्राथमिकी अब तक नहीं

■ यूपीपीएससी से हुई भर्तियों की जांच दो माह से चल रही, प्राथमिकी नहीं

■ अफसरों ने किया था धांधली के सबूत मिलने का दावा, महीने भर से माथापच्ची


इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से पांच साल में हुई भर्तियों की जांच कर रहे सीबीआइ अफसर ढेर सारे सबूत मिलने पर भी ‘खामोश’ हो गए हैं। तेजी से जांच और कार्रवाई करने की सीबीआइ की पहचान है, वैसी तेजी यहां नहीं दिख रही है। दो माह में एक प्राथमिकी भी दर्ज न होने से प्रतियोगियों में भी तमाम तरह की आशंका उठ रही हैं। यही हाल रहा तो साढ़े पांच सौ से अधिक भर्तियों की जांच में कई साल लगेंगे।


गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में 19 जुलाई 2017 को आयोग से सपा शासनकाल में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने का ऐलान किया था। प्रक्रियाएं पूरी होने और फिर केंद्र सरकार से अधिसूचना जारी होने के बाद एसपी राजीव रंजन के नेतृत्व में सीबीआइ अफसरों का एक दल 31 जनवरी 2018 को इलाहाबाद पहुंचा था। उसी दिन से आयोग में प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई थी। दूसरे ही दिन टीम के फोरेंसिक विशेषज्ञ भी आयोग पहुंचे।



दो चरणों में सीबीआइ ने आयोग में डेरा डालकर गोपन विभाग के कंप्यूटरों से भर्तियों के डाटा को इमेजिंग स्कैन के जरिए हार्ड डिस्क में स्थानांतरित कर लिया था। इस बीच इलाहाबाद के गोविंदपुर में बनाए गए कैंप कार्यालय में सीबीआइ को अभ्यर्थियों से सैकड़ों शिकायतें मिलीं, वहीं आयोग के कंप्यूटरों से प्राप्त डाटा खंगालने में भी भर्तियों में धांधली के संकेत मिले हैं।


शुरुआती जांच प्रक्रिया में सीबीआइ अफसरों ने तेजी दिखाकर भर्तियों से वंचित हुए अभ्यर्थियों व अन्य प्रतियोगियों में उम्मीद की किरण तो जगाई लेकिन, एक महीने से सन्नाटा पसरा है। लखनऊ में हुई बैठक के बाद से सीबीआइ के एसपी समेत अन्य अफसरों की यहां आने की राह देखी जा रही है। वहीं कर्मचारी चयन आयोग की विगत फरवरी में ही सीजीएल टियर-टू परीक्षा में हुई गड़बड़ी सहित देश भर में कई अन्य जांच कार्य के दौरान सीबीआइ की टीमें तेजी से काम कर रही हैं।



आयोग की जांच कर रही सीबीआइ ने अभी पीसीएस 2015, लोअर सबॉर्डिनेट और समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा 2014 की जांच पहले करने का टारगेट बनाया है ऐसे में टीम की लेटलतीफी से साढ़े पांच सौ से अधिक भर्तियों की जांच पूरी होने में लंबा वक्त लग सकता है।

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