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Wednesday, March 28, 2018

पीसीएस मेंस 2015: मॉडरेटर के नाम बताने में छूटे पसीने, भर्तियों में भ्रष्टाचार खंगाल रहे हैं सीबीआइ के जांच अधिकारी


सीधी भर्ती के विज्ञापन में संशोधन पर ली जानकारी

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार की सीबीआइ तेजी से कर रही है। सीबीआइ अफसरों ने पीसीएस (मुख्य) परीक्षा 2015 की उत्तर पुस्तिकाओं में मॉडरेशन के नाम पर हुई मनमानी पर संबंधित अधिकारियों से सवाल किए तो जवाब देने में उनके पसीने छूट गए।

आयोग के अधिकारियों ने गोपनीयता का हवाला देते हुए मॉडरेटर का नाम नहीं बताया, जबकि सीबीआइ अफसर मॉडरेटर का नाम पूछने पर ही अड़ गए हैं। सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ टीम अपने स्तर से उन संदिग्ध अधिकारियों और कर्मचारियों को चिन्हित कर चुकी है जिन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं में मॉडरेशन किया, जबकि यह कार्य विशेषज्ञों के पैनल से होता है। कई दिनों से आयोग में डेरा डाले सीबीआइ अफसर भर्तियों की जांच के दो महीने बाद भ्रष्टाचार की असली जड़ को पकड़ सके हैं।

पीसीएस की मुख्य परीक्षा में दरअसल नंबरों की स्केलिंग और मॉडरेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। मॉडरेशन किसी अनिवार्य विषय की कापियों को जांच कर नंबर देने और उसे मॉडल कापी बनाने की व्यवस्था है जिसे विशेषज्ञों के पैनल से करवाया जाता है। इस मॉडल कापी में नंबरों में कटिंग या छेड़छाड़ नहीं की जाती है, जबकि पीसीएस 2015 की मुख्य परीक्षा में बड़ी संख्या में अनिवार्य विषय की उत्तर पुस्तिकाओं में नंबर बदले गए।

मूल कापियों की जांच के दौरान सीबीआइ ने बुधवार को आयोग में संबंधित अफसरों से मॉडरेटर का नाम पूछ लिया। सूत्रों के अनुसार मॉडरेशन के नाम पर अंकों का हेरफेर किया गया। मॉडरेशन केवल अनिवार्य विषय में ही होना चाहिए लेकिन, सीबीआइ को इसके प्रमाण मिले हैं कि ऐच्छिक विषय में भी मॉडरेशन के नाम पर खेल किया गया। सीबीआइ को इसके पुख्ता प्रमाण मिल गए हैं कि आयोग के अध्यक्ष और सदस्य ही नहीं बल्कि अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी भ्रष्टाचार के सहभागी रहे हैं।

इलाहाबाद : उप्र लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती के तहत जो विज्ञापन प्रकाशित कराए गए, उनमें भी ‘खेल’ होने का संदेह है। कई भर्तियों के विज्ञापन बार-बार बदले गए। इनमें अनारक्षित वर्ग के अलावा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाने की संख्या में फेरबदल किया गया। प्रतियोगियों की इस शिकायत पर सीबीआइ ने आयोग में इस बिंदु पर भी गहनता से पूछताछ शुरू कर दी है। परीक्षा विभाग के कार्यरत अधिकारियों से मंगलवार और बुधवार को सवाल हुए।

आयोग ने पांच साल में प्रतियोगी परीक्षाएं तो गिनी चुनी कराईं लेकिन, सीधी भर्ती पर ज्यादा जोर रहा। केवल साक्षात्कार के आधार पर जीआइसी व डायट में प्रवक्ता सहित अन्य विभागों में हजारों कर्मचारियों की भर्ती की गई। सीधी भर्ती में आवेदनों के आधार पर पदों की तुलना में कई गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाने की व्यवस्था रही है। इसके लिए विज्ञापन प्रकाशित कराए जाने का नियम था। आयोग ने सभी भर्तियों के विज्ञापन प्रकाशित कराए भी लेकिन, कई बार विज्ञापनों में संशोधन हुआ। इसमें श्रेणी वार जितने अभ्यर्थी पहले बुलाए गए थे संशोधित विज्ञापन में उस संख्या में फेरबदल हुआ।

प्रतियोगियों के अनुसार आयोग ने इसी संशोधन में तिकड़म लगाते हुए अपने चहेतों को चयनित किया, जबकि योग्य अभ्यर्थी चयन से बाहर हो गए। इलाहाबाद स्थित कैंप कार्यालय पर आइ ऐसी शिकायतों को भी सीबीआइ ने संज्ञान लिया। जिसके आधार पर पिछले दिनों से आयोग में सीधी भर्ती से परिणाम के सभी रिकार्ड मांग लिए गए। इनके अलावा दो दिनों से सीबीआइ ने सीधी भर्ती के विज्ञापन में बार-बार बदलाव होने के संबंध में जानकारी जुटाई। विज्ञापन क्यों बदले गए, किसके आदेश पर, विज्ञापन कहां-कहां प्रकाशित कराए गए। कई विज्ञापन तो रोजगार की जानकारी देने वाले एक समाचार पत्र में प्रकाशित ही नहीं कराए गए। सीबीआइ ने यह भी जानकारी मांगी कि विज्ञापन के प्रकाशन में नियमों का उल्लंघन क्यों किया गया।

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