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Tuesday, March 20, 2018

सात साल बाद आया परिणाम पर नियुक्ति फिर भी नहीं मिली, एपीएस 2010 के चयनित खा रहे दर-दर की ठोकरें

■  हाईकोर्ट से दी गई समय सीमा आज हो रही पूरी

■  पहले आयोग की लेटलतीफी अब सचिवालय प्रशासन की लापरवाही

एपीएस 2010 के चयनित खा रहे दर-दर की ठोकरें


इलाहाबाद : पहले तो उप्र लोकसेवा आयोग की लेटलतीफी और अब सचिवालय प्रशासन की बेरुखी के चलते अपर निजी सचिव 2010, परीक्षा के चयनित दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। परीक्षा में अंतिम रूप से उत्तीर्ण होने और हाईकोर्ट के छह सप्ताह में चयनितों को नियुक्ति पत्र देने के स्पष्ट आदेश के बाद भी सचिवालय प्रशासन ने उन्हें नियुक्ति नहीं दी है, जबकि हाईकोर्ट के आदेश से मिली समय सीमा 21 मार्च यानी बुधवार को पूरी हो रही है।



आयोग ने अपर निजी सचिव (उप्र सचिवालय) 2010 परीक्षा का विज्ञापन 25 दिसंबर 2010 को निकाला था। 250 पदों के लिए आवेदन लेते हुए 22 सितंबर 2013 को लिखित परीक्षा, दूसरे चरण में मार्च 2014 में आशुलिपिक और टंकड़ परीक्षा तथा 11 सितंबर 2016 को कंप्यूटर ज्ञान की परीक्षा कराई थी। तीन अक्टूबर 2017 को इसका अंतिम परिणाम घोषित हुआ, जिसमें 249 लोगों का परिणाम आया। इस अंतिम परिणाम को कुछ अचयनित अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।


हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 11 जनवरी 2018 को तीन याचिकाओं के 18 अभ्यर्थियों के बारे में आयोग को निर्देश दिया कि इनके कंप्यूटर प्रमाण पत्र का परीक्षण कर लिया जाए। जिनके कंप्यूटर प्रमाणपत्र विज्ञापन के अनुरूप नहीं पाए जाते हैं उनके अभ्यर्थन को निरस्त करके उतनी संख्या में नए अभ्यर्थियों को प्रवीणता सूची से लिया जाए। एकल पीठ के इस निर्णय के खिलाफ अचयनित याचियों ने हाईकोर्ट की युगल पीठ में विशेष अपील दाखिल की। युगल पीठ ने इस विशेष अपील को खारिज करते हुए एकल पीठ के निर्णय को बरकरार रखा।


उधर, परीक्षा के चयनितों ने हाईकोर्ट की एकल और युगल पीठ के निर्णय के आधार पर प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन को नियुक्ति पत्र जारी करने के बावत ज्ञापन दिया लेकिन, नियुक्ति पत्र जारी न होने के चलते चयनितों ने हाईकोर्ट की शरण ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन को सात फरवरी 2018 को आदेश दिया कि चयनित अभ्यर्थियों को छह सप्ताह में नियुक्ति पत्र निर्गत करें। इसके बाद भी चयनितों को अब तक नियुक्ति पत्र जारी नहीं हो सके हैं और हाईकोर्ट से दी गई समय सीमा 21 मार्च को पूरी हो रही है।



अभ्यर्थियों का कहना है कि 21 मार्च को हाईकोर्ट में सुनवाई भी है, जबकि सचिवालय प्रशासन चयनितों को नियुक्ति न देने का क्या कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट में बताता है इसका बेसब्री से इंतजार रहेगा।

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