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Friday, March 30, 2018

गलतियों की हैट्रिक : लगातार तीसरी पीसीएस परीक्षा में प्रश्नों के जवाब गलत, फैसले के बाद 17 मई को होने वाली पीसीएस (मुख्य) परीक्षा टलने के पूरे आसार


गलती ठहराने के लिए मजबूती से रखे साक्ष्य

दोबारा परीक्षा कराने के बजाए पुनर्मूल्यांकन किया जाए : हाईकोर्ट

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद उप्र लोक सेवा आयोग की ओर से 17 मई को होने वाली पीसीएस (मुख्य) परीक्षा टलने के पूरे आसार हैं। पहले तो प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी करने में लेटलतीफी हुई, इसके बाद 17 मार्च को प्रस्तावित मुख्य परीक्षा में बदलाव कर इसे 17 मई 2018 किया गया। अब आयोग के सामने यह संकट आ गया है कि वह हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करने के क्रम में मुख्य परीक्षा कब और कैसे कराए। ऐसे संकेत हैं कि परिणाम संशोधित होने से परीक्षा टलेगी।


राज्य में पीसीएस के कुल रिक्त 677 पदों पर भर्ती के लिए आयोग ने सत्र की प्रारंभिक परीक्षा 24 सितंबर को प्रदेश के 21 जिलों में कराई थी। इसकी पहली उत्तर कुंजी जारी कर अभ्यर्थियों से आपत्तियां मांगी गईं। कई प्रश्नों और उत्तरों पर मिली आपत्तियों के निस्तारण और कुछ अभ्यर्थियों के आवेदन में प्रविष्टियों में त्रुटियां सुधारने के चलते प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम लिखित परीक्षा की तारीख से 54 दिनों बाद यानि 19 जनवरी 2018 को जारी किया गया। इसमें मुख्य परीक्षा के लिए 14032 अभ्यर्थी उत्तीर्ण पाए गए। इसके साथ ही संशोधित उत्तर कुंजी भी जारी की गई। कई अभ्यर्थियों ने इस उत्तर कुंजी पर भी आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।


आयोग सचिव जगदीश का कहना है कि उन्हें अभी कोर्ट का आदेश नहीं मिला है। उसे आयोग के समक्ष रखा जाएगा और जो निर्णय होगा उसे लागू करेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि मुख्य परीक्षा टलने की स्थिति बन रही है।





इलाहाबाद  : प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था उप्र लोकसेवा आयोग ने गलत सवालों का उत्तर देने की हैटिक लगा दी है। आयोग ने यह गड़बड़ियां किसी दोयम दर्जे की परीक्षा में नहीं की हैं, बल्कि प्रांतीय सेवा की अहम पीसीएस जैसी परीक्षा पर लगातार सवाल उठे हैं। हजारों अभ्यर्थियों को आयोग से न्याय नहीं मिला तो हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर परीक्षा परिणाम रद करने व बदलने का आदेश दिया है।

आयोग की पीसीएस परीक्षा 527 पदों के लिए हुई। इसकी प्रारंभिक परीक्षा के 13 प्रश्नों के जवाब को अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। याचिका का अब तक निस्तारण नहीं हुआ है, वहीं आयोग मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार कराकर अंतिम चयन सूची भी जारी कर चुका है। इसी तरह से की पीसीएस परीक्षा 654 पदों के लिए हुई, इसके नौ सवालों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। यह प्रकरण कोर्ट में लंबित था, उसी बीच आयोग ने मुख्य परीक्षा भी अभ्यर्थियों के विरोध को दरकिनार करके करा दी। मेंस परीक्षा के बाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता व एमके गुप्ता की खंडपीठ ने प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम रद कर दिया। चार सवालों का उत्तर बदलने और एक प्रश्न को रद करने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, अब तक मेंस का परिणाम जारी नहीं हो सका है। ऐसे ही पीसीएस की परीक्षा 777 पदों के लिए कराई। इसकी मुख्य परीक्षा 17 मई को प्रस्तावित है।


हाईकोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा का एक सवाल रद कर दिया है और दो सवालों का उत्तर बदलने का आदेश दिया। पीसीएस की तीन प्रारंभिक परीक्षाएं सवालों के गलत जवाब से सवालों के घेरे में हैं।

पीसीएस प्री के 13 सवालों का प्रकरण कोर्ट में लंबितप्री का परिणाम रद चार सवालों का उत्तर बदलेंप्री का सवाल रद दो सवालों केउत्तर बदलेसुहासिनी का प्रकरण उछला सीबीआइ गंभीर 1 पीसीएस में ही मेंस की उत्तर पुस्तिका बदलने पर सुहासिनी बाजपेई का प्रकरण उछला था और नरेंद्र मोदी ने आयोग की जांच का वादा किया था। सीबीआइ इसी परीक्षा पर केंद्रित होकर तेजी से पड़ताल कर रही है। मेंस की कॉपियां सीज की हैं और उनका नए सिरे से मूल्यांकन कराने की तैयारी है। में पेपर लीक, उत्तरकुंजी आई


आयोग की पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के बाद से ही उत्तरकुंजी जारी करने की शुरुआत हुई है। इसके पहले आयोग उत्तरकुंजी जारी करता था। अभ्यर्थियों को आयोग का एक प्रस्ताव हाथ लगा जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई। इस पर कई पर मुकदमे दर्ज हुए, बाद में आयोग को उत्तर कुंजी भी जारी करनी पड़ी। प्री परीक्षा में पेपर लीक की घटना भी हुई थी। कई दिन तक हंगामा और प्रदर्शन हुआ।



इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में जिन तीन प्रश्नों पर अपना निर्णय दिया उसके संबंध में याचियों की ओर से साक्ष्य भी दिए गए। याचियों के अधिवक्ता की ओर से उन साक्ष्यों पर मजबूती से तर्क भी रखा गया। जिसके आधार पर कोर्ट ने दो प्रश्नों के उत्तर विकल्प को आयोग की गलती मानते हुए उसमें बदलाव कर तथा एक प्रश्न को ही रद कर पुन: परिणाम जारी करने का निर्देश दिया।

इन प्रश्नों पर आया हाईकोर्ट का निर्णय,

जिसे रद किया जाना है

प्रश्न संख्या 106
निम्नलिखित लोहा और इस्पात कारखानों में से कौन कच्चे माल क्षेत्र के समीप नहीं है।

जिनके उत्तरों में बदलाव होने हैं

प्रश्न संख्या 10, निम्नलिखित में से समन्वित बाल विकास सेवा (आइसीडीएस) योजना के अंतर्गत कौन सी सेवा नहीं प्रदान होती है। आयोग ने इस प्रश्न के उत्तर विकल्प ‘बी’ को सही माना है जबकि हाईकोर्ट ने ‘सी’ और ‘डी’ को सही माना है।

प्रश्न संख्या 105, निम्न में से कौन सा विशालतम हिमनद है।  इस प्रश्न के उत्तर विकल्प में आयोग ने ‘डी’ को सही माना है जबकि हाईकोर्ट ने ‘ए’ को सही माना है।

नोट : यह सभी प्रश्न संख्या (डी सीरीज) में हैं। अन्य ए, बी व सी सीरीज में यह प्रश्न अलग संख्या के साथ पूछे गए हैं।


इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने कहा कि उप्र लोकसेवा आयोग की गलती का खामियाजा अभ्यर्थियों को न भुगतना पड़े, इसलिए प्रारंभिक परीक्षा दोबारा कराने के बजाय पुनमरूल्यांकन किया जाना ही सही होगा। यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय के अनुराग त्रिपाठी केस के तहत दिया है। इस आदेश से परिणाम में बड़ा उलटफेर होना तय है।

150 में 145 प्रश्नों का हुआ था मूल्यांकन : उप्र लोकसेवा आयोग की ओर से जवाबी हलफनामे में कहा गया कि आयोग को उत्तरकुंजी जारी करने के बाद 962 आपत्तियां मिली। सामान्य अध्ययन प्रथम के पांच सवाल पहले ही रद कर दिए गए थे। प्रश्नपत्र के कुल 150 प्रश्नों में 145 का मूल्यांकन किया गया। इसके लिए दो कमेटियां गठित की गई थी। 23 नवंबर तक आपत्तियां ली गईं। 24 नवंबर को उत्तर कुंजी वेबसाइट पर अपलोड की गई थी।

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