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Saturday, February 24, 2018

उच्चतर आयोग की धीमी चाल से अभ्यर्थी परेशान, आयोग के पुनर्गठन के बाद भी हालात पहले जैसे ही

इलाहाबाद : उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का पुनर्गठन जरूर हो गया है लेकिन, हालात पहले जैसे ही हैं। नए अध्यक्ष व सदस्यों ने पिछले दिनों बैठक भी की, वह भी अधिकांश प्रकरणों में अनिर्णय का शिकार रही। विचार किया गया है, परामर्श लेंगे और आगे निर्णय करेंगे जैसे वाक्य पूरी बैठक पर हावी रहे हैं। भर्तियों की दिशा स्पष्ट न होने से अभ्यर्थी अब परेशान हैं और आंदोलन की राह बढ़ चले हैं।


असल में अधीनस्थ सेवा आयोग लखनऊ का भी पिछले महीनों में पुनर्गठन हुआ है। वहां ताबड़तोड़ बैठकें करके पुरानी और नई भर्तियों की दिशा काफी हद तक तय कर दी गई है। पहले गलत चयन वालों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। अभ्यर्थी ऐसी ही तेजी की उच्चतर आयोग से भी उम्मीद लगाए थे। उच्चतर की पहली बैठक उस दिन हुई जब गेट के बाहर अभ्यर्थी भर्तियां शुरू करने का प्रदर्शन कर रहे थे। यही नहीं, विज्ञापन 46 की लिखित परीक्षा, परिणाम, उत्तरकुंजी आदि पर गंभीर सवाल पहले ही उठ चुके हैं। आयोग के ही पूर्व अध्यक्ष ने 250 से अधिक सादी कापियों का सच उजागर किया था।


अशासकीय कालेजों के लिए चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों को कालेज आवंटन हो चुका है, इसके बाद भी प्रतियोगी का मानना था कि आयोग की नई टीम पूर्व के प्रकरणों का संज्ञान लेकर कदम उठाएगी। लेकिन, ये गंभीर प्रकरण अब तक मंथन के दौर में ही हैं। 1आयोग की ओर से कहा गया है कि बैठक में भर्तियों पर चर्चा हुई है अब विधिक परामर्श लेने के बाद आगे की बैठकों में सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा।



प्रतियोगी कहते हैं कि जिन अभ्यर्थियों का चयन हो चुका है उनमें से कई ऐसे हैं उनकी उत्तरकुंजी कई बार बदलने के बाद भी सही से जारी नहीं हुई। कई मामले अब भी कोर्ट में विचाराधीन हैं। वहीं, जिन भर्तियों के ऑनलाइन आवेदन लिए जा चुके हैं कम से कम उनकी लिखित परीक्षा जल्द कराने की पहल आयोग को करनी चाहिए। नई टीम अपने समय की भर्तियां पारदर्शी से करा सकती है।राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद :

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