लखनऊ : सपा शासनकाल में पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती में हुई धांधली की जांच कर रहे विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) के सामने कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ऑप्टिकल निशान मान्यता (ओएमआर) शीट को जांचने के लिए रायबरेली स्थित फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भेजा गया था। जो रिजल्ट जारी हुआ था, उस पर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. आरपी शर्मा के हस्ताक्षर, नाम व पदनाम नहीं था। एसआइटी इस बिंदु पर अब और गहनता से जांच कर रही है।
सपा शासनकाल में वर्ष 2014 में पशुधन प्रसार अधिकारी के 1005 पदों पर भर्ती हुई थी। कई परीक्षार्थियों ने नियमावली को दरकिनार कर भर्ती प्रक्रिया पूरी कराए जाने का आरोप लगाया था। मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर शासन ने भर्ती में धांधली की जांच 20 दिसंबर, 2017 को एसआइटी को सौंपी थी। एसआइटी अधिकारियों के मुताबिक जांच में सामने आया कि पशुधन विभाग के तत्कालीन निदेशक ने पूर्व में ओएमआर शीट चेक करने के लिए शकुंतला देवी मिश्र विश्वविद्यालय भेजी गई थी। जहां ओएमआर शीट चेक करने के पर्याप्त संसाधन न होने को लेकर आपत्तियां हुई थीं। इस पर ओएमआर शीट को वापस लेकर उसे रायबरेली स्थित फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट भेजा गया था।
एसआइटी ने गत दिनों इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ.आरपी शर्मा के बयान दर्ज किए थे। बताया गया कि एसआइटी जल्द नोटिस भेजकर डॉ.आरपी शर्मा को दोबारा बयान दर्ज कराने के लिए बुलाएगी। खासकर यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि रिजल्ट बिना हस्ताक्षर के किन परिस्थितियों में पशुधन विभाग को भेजा गया था। एसआइटी जांच में 17 मंडलों के तत्कालीन अपर निदेशक ग्रेड-टू स्तर के अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रही है।1उल्लेखनीय है कि एसआइटी लखनऊ, कानपुर नगर, देवीपाटन, फैजाबाद, गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़, वाराणसी, मीरजापुर, इलाहाबाद, झांसी, चित्रकूट, अलीगढ़, आगरा, बरेली, मुरादाबाद व मेरठ मंडल के अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रही है।
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