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Thursday, February 8, 2018

पशुधन विभाग की भर्तियों में सरकारी धन का अपव्यय और सेवा नियमावली का उल्लघंन कर मनमाने तरीके से मूल्यांकन संस्था का किया गया चयन, जांच में हुआ खुलासा


■ लिखित परीक्षा की प्रति ओएमआर शीट मूल्यांकन के लिए सुभारती मेडिकल विश्वविद्यालय मेरठ ने पांच रुपये, टाटा कंसल्टेंसी लिमिटेड लखनऊ ने 7.10 रुपये का रेट दिया था, लेकिन निदेशक पशुपालन ने पहले डा. शकुंतला मिश्र विश्वविद्यालय को 14 रुपये की दर पर कार्य सौंपा। डा. शकुंतला विवि के मूल्यांकन से इन्कार करने पर फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी रायबरेली को 12.50 रुपये प्रति ओएमआर की दर से कार्य सौंपा, जबकि रायबरेली के इस कालेज के पास मूल्यांकन कार्य का पर्याप्त अनुभव भी नहीं था। इसे जांच में नियम विरुद्ध व सरकारी धन का अपव्यय माना गया है। 



इलाहाबाद : सपा शासन में पशुधन विभाग की भर्तियों में सरकारी धन का अपव्यय और सेवा नियमावली का उल्लघंन सामने आया है। हाईकोर्ट के आदेश पर शासन ने पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती में धांधली की जांच विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) से कराई थी, यह रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई है। जांच अधिकारी ने भर्ती के तमाम बिंदुओं को मानक के विपरीत बताया है।



प्रदेश में वर्ष 2014 में पशुधन विभाग में 1198 पदों पर पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती हुई। इसकी परीक्षा में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शामिल हुए। 1158 चयनित पशुधन प्रसार अधिकारियों में से 1017 अभ्यर्थियों ने दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त किया। दोबारा प्रशिक्षण के बाद 1017 कार्मिकों में से 1005 को संबंधित मंडलों में नियुक्ति दी गई। इसी बीच कई अभ्यर्थियों ने नियमावली दरकिनार कर भर्तियां करने का आरोप लगाया। 34 परीक्षार्थी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने इसकी जांच एसआइटी से कराने का आदेश दिया। जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई है। उसमें कहा गया है कि लिखित परीक्षा के प्राप्तांकों की सारणीबद्ध सूची संबंधित मंडलीय अपर निदेशकों को प्राप्त नहीं कराई गई, जो सेवा नियमावली का सीधा उल्लंघन है।




 लिखित परीक्षा की ओएमआर शीट का मूल्यांकन फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी रायबरेली ने अपने स्तर पर परीक्षा के अंकों को सारणीबद्ध किया। इसी संस्था ने क्षैतिज आरक्षण का निर्धारण करके लिखित परीक्षा के परिणाम का अभ्यर्थीवार सारणीकरण किया। यही नहीं साक्षात्कार के बाद अभ्यर्थियों का अंतिम चयन परिणाम तैयार करके निदेशालय के माध्यम से घोषित कराया गया। यह उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग, पशुधन प्रसार व कुक्कुट विकास सेवा नियमावली का उल्लंघन है। 




जांच में मिला कि प्रश्नपत्र बनवाने की प्रक्रिया में दरों का प्रतिस्पर्धात्मक आंकलन तक नहीं हुआ। बिना प्रस्तावित दर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान मथुरा को कार्य सौंपा गया। सभी मंडलों का साक्षात्कार पत्र बिना सारणीबद्ध सूची के ही जारी हुए। मूल्यांकन की प्रक्रिया में मंडलीय चयन समिति के अधिकार व दायित्वों का अतिक्रमण किया गया। चयन में गोपनीयता और पारदर्शिता नहीं रखी गई। वहीं, लिखित परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए कोई अनुबंध संबंधित संस्था से नहीं किया गया और न ही उनसे जमानत धनराशि जमा कराई गई, बल्कि अग्रिम भुगतान जरूर कर दिया गया। 


■ पशुधन विभाग के भर्तियों की एसआइटी जांच रिपोर्ट दाखिल

■ पूरी चयन प्रक्रिया में गोपनीयता व पारदर्शिता का अभाव मिला


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